पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी लेकिन उसने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। उसके बाद ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था और विधायक बने रहने का फैसला किया था। तब कहा गया था विधायक रह कर अखिलेश राज्य की राजनीति में ज्यादा रमेंगे और जमीनी स्तर पर काम करेंगे। लेकिन उनके विधायक बनने के बाद पहले उपचुनाव में ही उनकी पार्टी को बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा। अखिलेश के इस्तीफे से खाली हुई आजमगढ़ सीट पर भी समाजवादी पार्टी चुनाव हार गई।
सबसे हैरानी की बात यह है कि आजमगढ़ और रामपुर दोनों सीटों पर प्रचार के लिए अखिलेश यादव नहीं गए। सोचें, उनकी पार्टी के लिए यह जीवन-मरण का चुनाव था। लेकिन वे प्रचार के लिए नहीं गए। दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कुछ भी प्रमाणित नहीं करना था क्योंकि उनकी कमान में और उनके चेहरे पर पार्टी तीन महीने पहले ही चुनाव जीती है। इसके बावजूद योगी ने दोनों सीटों पर प्रचार किया। ऐसा लग रहा है कि जैसे अखिलेश यादव अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो वे राष्ट्रीय नेताओं की तरह बरताव कर रहे हैं। जैसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने उपचुनाव में प्रचार नहीं किया उसी तरह उन्होंने भी उपचुनाव में प्रचार नहीं किया। लेकिन उनको ध्यान रखना चाहिए कि मोदी और शाह के पास पूरा देश है, जबकि अखिलेश के पास सिर्फ उत्तर प्रदेश है। राष्ट्रीय नेता बनने के चक्कर में कहीं राज्य की राजनीति भी हाथ से न निकल जाए।
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