केंद्र सरकार कृशि कानूनों पर कोई रास्ता निकालने की तैयारी कर रही है क्या? अभी यह सिर्फ अंदाजा है लेकिन भाजपा के उत्तर प्रदेश के एक नेता ने इसका संकेत किया है। हालांकि नेता कोई बड़ी हैसियत के नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो कहा है वह अहम है। भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की एक सदस्य ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस ले सकती है। ध्यान रहे अगले साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इनमें से मणिपुर और गोवा को छोड़ कर बाकी तीन राज्य- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में किसान आंदोलन का अच्छा खासा असर है। इन राज्यों में कृषि कानूनों का मुद्दा चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
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तभी इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि सरकार कानूनों को वापस लेगी या कोई बीच का रास्ता निकालेगी। इन तीनों कानूनों को लेकर केंद्र सरकार जितना टकराव बढ़ा चुकी है उसे देखते हुए ऐसा लग नहीं रहा है कि वह कानूनों को वापस लेगी। लेकिन सरकार बीच का कोई रास्ता निकालने का प्रयास कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी इन कानूनों पर रोक लगा रखी, जिसकी वजह से इन कानूनों पर अमल भी नहीं हुआ है। तभी सरकार के लिए इसे टालना बहुत मुश्किल काम नहीं होगा। कहा जा रहा है कि संसद का चालू सत्र खत्म होने के बाद अगले हफ्ते किसान आंदोलन और कृषि कानूनों के मसले पर विचार होगा। सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी ने भी सीलबंद लिफाफे में अपनी सिफारिश सर्वोच्च अदालत को सौंप दी है। अदालत भी इस मामले में कोई निर्देश जारी कर सकती है।
कृषि कानूनों पर क्या रास्ता निकलेगा?
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