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आरबीआई के ब्याज घटाने से क्या होगा

ByNI Political,
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आरबीआई के ब्याज घटाने से क्या होगा
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर नीतिगत ब्याज दरों में 0.40 फीसदी की कटौती कर दी है। उसने कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू होने के बाद दूसरी बार कटौती की है। इससे पहले उसने बिना शिड्यूल के मौद्रिक नीति तय करने वाली समिति की बैठक बुला कर एक बार में 0.75 फीसदी की सबसे बड़ी कटौती की थी। पिछले दो महीने में रिजर्व बैंक 1.15 फीसदी की कमी कर चुका है। रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे व्यवसायिक बैंकों को कर्ज देता है। इसके चार फीसदी से नीचे आने का मतलब है कि अब व्यावसायिक बैंक ज्यादा सत्ता लोन दे सकते हैं और पुराने कर्ज की किस्तें कम कर सकते हैं। पर इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा? उलटे उन्हें नुकसान होगा। आवास और वाहन कर्ज की किस्तों में कमी होने से जरूर कुछ लोगों को फायदा होगा पर यह हकीकत है कि नए कर्ज लेने वाले नहीं आ रहे हैं। रिजर्व बैंक ने बड़ी कटौती करके देख ली, ऋण उठाव की दर नहीं सुधर रही है। तभी व्यवसायिक बैंकों ने अपना आठ लाख करोड़ रुपया रिजर्व बैंक में जमा किया है। रिजर्व बैंक वे रिवर्स रेपो दर यानी बैंकों को देने वाले ब्याज में भी कमी की है इसके बावजूद बैंक रिजर्व बैंक में पैसा जमा कर रहे हैं। इसका मतलब है कि उनको कर्ज उठाव की दर में सुधार की उम्मीद नहीं है। दूसरे, इसका नुकसान यह है कि कर्ज की ब्याज दर में कमी के साथ साथ बैंक जमा पर मिलने वाला ब्याज दर भी घटा देते हैं। जमा पर लगातार कम हो कर फिक्सड डिपॉजिट की दर पांच फीसदी या उससे नीचे आ गई है और बचत खाते पर ब्याज दर तीन फीसदी से भी नीचे आ गया है। सो, जितने लोगों के कर्ज की किस्तों में सरकार राहत देगी, उससे कई गुना ज्यादा लोगों की बचत पर ब्याज दर घटा कर उनका नुकसान करेगी और बैंकों की कमाई बढ़ाएगी।
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