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महा विकास अघाड़ी का क्या होगा?

ByNI Political,
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महा विकास अघाड़ी का क्या होगा?
महाराष्ट्र का राजनीति घटनाक्रम चरम पर पहुंचने के बाद अब सम पर आ गया है। विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यथास्थिति कायम रहने की संभावना है। एकनाथ शिंदे खेमे ने अभी तक चुनाव आयोग के सामने पार्टी पर दावा नहीं किया है लेकिन उद्धव ठाकरे खेमे ने कैविएट दायर कर दी है। सो, सब कुछ शांत और ठहरा हुआ दिख रहा है। लेकिन यह शांति बहुत टिकाऊ नहीं है। बृहन्नमुंबई नगर निगम यानी बीएमसी चुनाव से पहले कुछ न कुछ फैसला होगा। दो संभावना दिख रही है। पहली तो यह कि भाजपा की मदद से एकनाथ शिंदे गुट शिव सेना पर कब्जा करे और उद्धव खेमा पैदल होकर महा विकास अघाड़ी में एनसीपी और कांग्रेस के साथ रहे। दूसरी संभावना है कि पूरे ड्रामे का सुखद अंत हो यानी उद्धव और शिंदे खेमा एक हो जाए। सो, अभी जो दिख रहा है वह तूफान से पहले की शांति की तरह है। ऐसा लग रहा है कि एनसीपी और कांग्रेस को इस पूरे मामले में शिव सेना का कोई खेल समझ में आ रहा है। तभी दोनों पार्टियों ने दूरी बनानी शुरू कर दी है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने उद्धव ठाकरे की आखिरी कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि ये फैसले सही नहीं था। कांग्रेस के कई नेता इस फैसले का विरोध कर चुके हैं और इस वजह से ही कई नेताओं ने विश्वास मत पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। एक तरफ एनसीपी, कांग्रेस की दूरी बढ़ रही है तो दूसरी ओर उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया है। इस बीच मंत्रिमंडल का विस्तार भी राष्ट्रपति चुनाव तक टल रहा है। यह सब नए राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा है।
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