ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत में रामबाण माना जा रहा है। भारत बायोटेक की बनी कोवैक्सीन को लेकर कुछ आपत्ति भी है तो ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड को लेकर आपत्ति नहीं है। लेकिन दुनिया के देशों में कोवीशील्ड को लेकर दो राय हो गई है। दुनिया के कई देशों ने अपने यहां 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को यह वैक्सीन लगाने से रोक दिया है। खबर है कि यूरोपीय संघ के देशों में 55 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को यह वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। ऐसे में भारत में क्या होगा? भारत में अगले महीने से 50 साल से ज्यादा उम्र के और 50 साल से कम उम्र के ऐसे लोगों को जिन्हें कोई बीमारी है, वैक्सीन लगनी शुरू होनी है। इनकी संख्या 27 करोड़ है। क्या उम्रदराज लोगों और बीमार लोगों को वैक्सीन लगाना ठीक होगा?
भारत में जो दो वैक्सीन लगाई जा रही है उसमें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल अभी चल ही रहा है। उसका डाटा सामने नहीं आया है। इसलिए कई राज्यों ने या कई राज्यों के स्वास्थ्यकर्मियों ने उस वैक्सीन को लेने से इनकार किया है। अब अगर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के बारे में ग्लोबल धारणा ऐसी बन रही है कि इसे बीमार और उम्रदराज लोगों को नहीं लगाना है या ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में मिले वायरस के नए स्ट्रेन पर यह असरदार नहीं है तो इस वैक्सीन का भविष्य क्या होगा? इस बीच खबर आई है कि अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी कारगर है।
ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का क्या होगा?
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