हर चुनाव से पहले बिहार में जितनी पार्टियां और जितने गठबंधन बनते हैं उसकी मिसाल कहीं और नहीं मिल सकती है। तमिलनाडु में, जहां हर जाति के नेता पार्टी बनाई है वहां भी उतनी पार्टियां नहीं हैं, जितनी बिहार में हैं। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा एक नई पार्टी और फिर एक नया गठबंधन बनाने बिहार में पहुंचे हैं। उन्होंने बिहार की हर पार्टी में राजनीति कर चुके तीन पूर्व सांसदों के साथ नई पार्टी का ऐलान किया। प्रोफेसर अरुण कुमार, नागमणि और देवेंद्र यादव उनके साथ मौजूद थे। एक निश्चित क्षेत्र में इन तीनों नेताओं की असर है। पर वह बेहद सीमित है और कई बार उसकी परीक्षा हो चुकी है। तभी सवाल है कि यशवंत सिन्हा का गठबंधन क्या करेगा?
ध्यान रहे बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। एनडीए में भाजपा, जेडीयू और लोजपा हैं तो महागठबंधन में कांग्रेस, राजद, रालोसपा, हम और वीआईपी हैं। पर रालोसपा, हम और वीआईपी अलग राजनीति में लगे हैं। वे राजद नेता तेजस्वी यादव के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। इन आठ पार्टियों के अलावा बिहार में दर्जनों और पार्टियां हैं, जो किसी न किसी गठबंधन की तलाश में हैं। अरुण कुमार की अपनी पार्टी है तो पप्पू यादव ने भी पार्टी बनाई है। साधु यादव की अलग पार्टी है तो शरद यादव की भी एक पार्टी है। इसके अलावा तीन कम्युनिस्ट पार्टियां- सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई एमएल भी हैं। ये सारी पार्टियां चुनाव से पहले गठबंधन की तलाश में हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से किसका किसके साथ गठबंधन होता है।
बिहार में नया गठबंधन क्या करेगा?
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