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नकवी और आरसीपी कब इस्तीफा देंगे?

ByNI Political,
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नकवी और आरसीपी कब इस्तीफा देंगे?
यह लाख टके का सवाल है कि मुख्तार अब्बास नकवी और रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह कब इस्तीफा देंगे? केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह दोनों सात जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। इस साल हुए दोवार्षिक चुनावों में इन दोनों की पार्टियों ने उनको राज्यसभा में नहीं भेजा। नकवी झारखंड से भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं लेकिन पार्टी ने वहां से आदित्य साहू को उच्च सदन में भेजा है और आरसीपी बिहार से जदयू के सांसद थे लेकिन पार्टी ने वहां से उनकी जगह खीरू महतो को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया। दिलचस्प बात यह है कि जब तय हो गया कि दोनों नेता राज्यसभा नहीं जा रहे हैं तब भी उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा नहीं दिया। वैसे अभी भी दोनों को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सात जुलाई को राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी दोनों के पास छह महीने का समय होगा। बिना सांसद बने दोनों छह महीने तक केंद्रीय मंत्री रह सकते हैं। पर मुश्किल यह है अगले छह महीने में कहीं भी राज्यसभा के चुनाव नहीं होने हैं। अगले साल गोवा, गुजरात और पश्चिम बंगाल की 10 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव हैं लेकिन वह चुनाव अगस्त में है। इसलिए किसी राज्य से इन दोनों के चुन कर आने की संभावना नहीं है। एक संभावना मनोनीत श्रेणी की सीटों में है। इस समय मनोनीत कोटे की 12 में से सात सीटें खाली हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर भाजपा को मुख्तार अब्बास नकवी को केंद्रीय मंत्री बनाए रखना होता तो उनके किसी न किसी राज्य से राज्यसभा में ले आती। आखिर भाजपा के 25 के करीब राज्यसभा सांसद जीत कर आए हैं। उनमें नकवी को नहीं शामिल किया गया इसका मतलब है कि उनकी कोई और भूमिका सोची गई है। जहां तक आरसीपी सिंह का सवाल है तो उनको उनकी पार्टी ने राज्यसभा में नहीं भेजा तो जनता दल यू के नेता को भाजपा क्यों मनोनीत करेगी? वैसे कहने वाले यह प्रचारित कर रहे हैं कि बिहार की राजनीति में भाजपा के लिए आरसीपी की उपयोगिता है। वे जदयू के एकनाथ शिंदे हो सकते हैं। लेकिन यह बहुत दूर की कौड़ी है। नीतीश कुमार ने जब आरसीपी की टिकट काट कर झारखंड के अपने प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को टिकट दिया तो पार्टी का एक भी विधायक आरसीपी के समर्थन में नहीं आया। इसलिए यह उम्मीद करना बेमानी है कि वे एकनाथ शिंदे की तरह अपनी पार्टी तोड़ देंगे। दूसरे, भाजपा अपनी तरफ से इस समय नीतीश कुमार से पंगा नहीं बढ़ाना चाहती है। तभी आरसीपी के मनोनयन की संभावना नहीं है। इसके बावजूद आखिरी दिन तक नकवी और आरसीपी का इस्तीफा नहीं देना समझ में नहीं आने वाली बात है।
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