चुनावी चंदा देने के लिए लाए गए इलेक्टोरल बांड्स का मामला पिछले करीब तीन साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन इस पर सुनवाई ही नहीं हो रही है। इस बीच मनमाने तरीके से कारपोरेट से चंदा वसूली का काम जारी है। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने इलेक्टोरल बांड्स के खिलाफ फरवरी 2018 में याचिका दी थी। उन्होंने ट्विट करके याद दिलाया है कि पिछले करीब तीन साल से उनकी याचिका लंबित है। इस दौरान कितने रुपए का इलेक्टोरल बांड जारी हुआ और पैसा किसको गया, यह कहने की जरूरत नहीं है।
अब तक 12,773 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बांड्स बिके हैं, जिनमें से 92.4 फीसदी बांड्स एक करोड़ रुपए से ऊपर के थे। इसके बाद छह-सात फीसदी के करीब 10 लाख रुपए के बांड्स थे और उससे कम रुपए बांड्स एक फीसदी से भी कम थे। जाहिर है कि यह सिर्फ बड़े कारपोरेट के चंदे के लिए जारी किया गया था। यह भी जग जाहिर है कि इलेक्टोरल बांड्स से दिया जाने वाला ज्यादातर चंदा सरकारी पार्टी को जा रहा है। राजनीतिक चंदे की इस व्यवस्था से पूरी पारदर्शिता खत्म हो गई है। लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।
इलेक्टोरल बांड्स का मामला कब सुना जाएगा?
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