भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन के बारे में सारी बातें हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मंगलवार को चर्चा की तो वैक्सीन के बारे में ढेर सारी बातें हुईं। वैक्सीन किन समूहों को पहले लगाया जाएगा, कैसे इसकी स्टोरेज की व्यवस्था होगी और वितरण की क्या व्यवस्था होगी? यहां तक कि इस बात पर भी चर्चा हुई कि राज्यों को वैक्सीन के किसी भी साइड इफेक्ट के लिए तैयार रहना चाहिए। यानी वैक्सीन केंद्र सरकार मंगा कर देगी, उसका श्रेय उसे मिलेगा, लेकिन अगर कोई साइड इफेक्ट होता है तो राज्यों की सरकारों को उससे निपटने के लिए तैयार रहना होगा। बहरहाल, इसमें भी कोई मुश्किल नहीं है। लेकिन असली सवाल पर चर्चा नहीं हो रही है कि वैक्सीन कब आएगी और उसकी कीमत क्या होगी?
प्रधानमंत्री ने वैक्सीन की तारीख बताने के मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कह दिया कि यह बात कोई नहीं बता सकता है, सिवाए वैज्ञानिकों के। क्या भारत के वैज्ञानिकों ने वैक्सीन की कोई समय सीमा सरकार को नहीं बताई है? जब सारी दुनिया में समय सीमा तय हो रही है और कहा जा रह है कि दिसंबर के मध्य में ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ में कंपनियां वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मांगेंगी तो क्या इससे अपने आप भारत और बाकी दुनिया के लिए समय सीमा तय नहीं होती है? आखिर उनमें से एक वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण भारत में भी तो हो रहा है? सो, यह कोई छिपाने की बात नहीं है। सरकार को समय सीमा बतानी चाहिए और साथ ही इसकी संभावित कीमत भी बतानी चाहिए ताकि वैक्सीन आने के बाद मनमानी कीमत पर इसे बेचने का सिलसिला न शुरू हो, जैसे अभी कोरोना की दवाओं और टेस्टिंग के मामले में हो रहा है। सरकार को वैक्सीन की समय सीमा और उसकी कीमत के बारे में स्पष्ट पारदर्शिता दिखानी होगी।