
भारतीय जनता पार्टी के विधायक मुकुल रॉय के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। सर्वोच्च अदालत ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी से दो हफ्ते में निर्णय लेने को कहा है। गौरतलब है कि मुकुल रॉय भाजपा से चुनाव जीते पर बाद में पार्टी बदल कर अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में वापस चले गए। भाजपा ने उनके दलबदल की शिकायत करते हुए सदस्यता रद्द करने की अपील की है, जिस पर स्पीकर फैसला नहीं कर रहे हैं। इसके बाद भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी, जिस पर अदालत ने दो हफ्ते में निर्णय करने को कहा है। पहली हैरानी तो इस बात की है कि मुकुल रॉय जैसे बड़े नेता ने पार्टी छोड़ी तो विधानसभा से इस्तीफा क्यों नहीं दिया? वे इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़ सकते हैं और अभी राज्य में जिस तरह के हालात हैं उसमें उनका जीतना मुश्किल नहीं है। verdict defectors of Bengal
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दूसरी हैरानी इस बात को लेकर है कि स्पीकर इतना समय क्यों लगा रहे हैं? क्या उनको पता नहीं है कि देर-सबेर मुकुल रॉय की सदस्यता जानी है? असल में पश्चिम बंगाल में इस बार कई तरह के कमाल हो रहे हैं। नेता पार्टी बदल रहे हैं लेकिन अपनी सीट नहीं छोड़ रहे हैं, जबकि दूसरे राज्यों में पार्टी छोड़ने के साथ ही विधायकों का इस्तीफा हो जा रहा है। बंगाल में कम से कम दो लोकसभा सांसदों शिशिर अधिकारी और सुनील कुमार मंडल की शिकायत तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा स्पीकर से की है और उनकी सदस्यता रद्द करने को कहा है क्योंकि दोनों भाजपा के साथ चले गए हैं। पर लोकसभा में भी उनकी सदस्यता को लेकर फैसला नहीं हुआ है। इन दोनों का मामला पिछले साल जून से ही लंबित है।