शिव सेना के करीब 40 विधायक बागी हुए हैं और उनके साथ 10 के करीब निर्दलीय विधायक भी हैं। इस संख्या में कोई संदेह नहीं है। कुल मिला कर 50 के करीब विधायक गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं। इन 50 के अलावा भाजपा और उसके समर्थक विधायकों के संख्या 114 है। इस तरह 164 विधायक एक तरफ हैं। इसके बावजूद महाराष्ट्र में कहीं भी जश्न का माहौल नहीं दिख रहा है। कहीं भी भाजपा के विधायक सरकार बनने की संभावना का जश्न नहीं मना रहे हैं। कहीं भी शिव सेना के बागी विधायकों के समर्थक सड़कों पर उतरे नहीं दिख रहे हैं।
सोचें, शिव सैनिकों ने शुक्रवार को कुर्ला के विधायक के दफ्तर पर हमला किया, अहमदनगर में एकनाथ शिंदे के पोस्टर फाड़े और उनके पोस्टर पर कालिख पोती, साकीनाका के विधायक के कार्यालय पर हमला हुआ और इन विधायकों के समर्थक घरों में बैठे रहे! हालांकि हमला बहुत हिंसक नहीं था। वह प्रतीकात्मक ही दिखा। इसके बावजूद जिन विधायकों के कार्यालयों पर हमला हुआ उनके समर्थकों का बाहर निकलना और इसका विरोध करना बहुत स्वाभाविक था।
कहीं भी बागी विधायकों की ओर से प्रतीकात्मक तौर पर भी विरोध नहीं किया गया। इसका क्या कारण है? कहीं यह कारण तो नहीं है कि भाजपा की ओर से सबको चुप रहने और कोई प्रतिक्रिया नहीं देने के लिए कहा गया हो। यह भी हो सकता है कि बगावत करने वाले विधायकों के समर्थक शिव सैनिकों से डर रहे हों और उनको लग रहा हो कि वे प्रतिक्रिया देने निकले तो उन पर भी हमला हो सकता है। एक कारण यह भी संभव है कि भले विधायकों ने बगावत कर दी है पर जमीनी स्तर पर शिव सैनिक अब भी पार्टी और उद्धव ठाकरे के साथ हों। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि जमीनी कार्यकर्ताओं का मूड भांपे बगैर विधायकों ने शिव सेना से बगावत कर दी हो? बहरहाल, जो भी कारण हो महाराष्ट्र और खास कर मुंबई की शांति हैरान करने वाली है।
Tags :Shivsena