आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खूब प्रेस से बात करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मीडिया का इस्तेमाल करते हैं लेकिन वे प्रेस कांफ्रेंस नहीं करते हैं। उनका संवाद एकतरफा रहता है। दूसरी ओर केजरीवाल प्रेस कांफ्रेंस करते हैं और मीडिया को इंटरव्यू भी देते हैं। लेकिन कोई भी पत्रकार उनसे क्रास क्वेश्चनिंग नहीं करता है। उनसे पूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं। जैसे उन्होंने गुजरात में दो बड़े मीडिया समूहों को इंटरव्यू दिया तो दावा किया कि भाजपा ने उनको प्रस्ताव दिया था कि अगर वे गुजरात चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनके मंत्रियों को छोड़ दिया जाएगा।
केजरीवाल के इस दावे पर किसी ने सवाल नहीं उठाया। उनसे यह बुनियादी सवाल भी नहीं पूछा गया कि भाजपा की ओर से किसने उनको यह प्रस्ताव दिया? ऐसा तो है नहीं कि भाजपा कोई व्यक्ति है, जिसने केजरीवाल से बात की और उनको प्रस्ताव दिया! अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित रूप से किसी व्यक्ति ने यह प्रस्ताव दिया होगा। केजरीवाल को बताना चाहिए कि वह व्यक्ति कौन है, जिसने उनको यह प्रस्ताव दिया कि वे गुजरात चुनाव नहीं लड़ेंगे तो उनके मंत्रियों- सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया को छोड़ दिया जाएगा, उनके खिलाफ मुकदमे समाप्त कर दिए जाएंगे?
केजरीवाल से यह भी नहीं पूछा गया कि यह प्रस्ताव उनको कब दिया गया था और उसी समय उन्होंने इसका खुलासा क्यों नहीं किया? किसी व्यक्ति ने फोन पर उनको यह प्रस्ताव दिया या मिल कर आमने-सामने बात हुई? भाजपा के किसी नेता ने सीधे उनसे बात की या मनीष सिसोदिया, संजय सिंह या किसी अन्य नेता के जरिए प्रस्ताव मिला? कहीं ऐसा तो नहीं है कि शराब घोटाले में जब सिसोदिया से सीबीआई पूछताछ कर रही थी तब सीबीआई के किसी अधिकारी या सीबीआई मुख्यालय के किसी चपरासी ने यह प्रस्ताव दिया? तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन को जेलर या किसी कैदी के जरिए तो यह प्रस्ताव नहीं मिला?
सोचें, केजरीवाल को जब प्रस्ताव मिला तब उन्होंने नहीं बताया और अब जब खुलासा किया तो किसी का नाम नहीं बता रहे हैं! वे कभी भी नाम नहीं बताते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने दावा किया था कि भाजपा ने दिल्ली और पंजाब में उनके विधायकों को खरीद कर सरकार गिराने का प्रयास किया। लेकिन तब भी यह नहीं बताया कि भाजपा की ओर से किसने उनके विधायकों से बात की। दोनों राज्यों में विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर सरकार ने बहुमत साबित किया पर किसी का नाम नहीं बताया। पंजाब में मुकदमा हुआ भी तो अज्ञात लोगों के खिलाफ। दिल्ली में तो पुलिस से कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई गई। राजनीति में पहले भी नेता मनगढ़ंत बातें करते थे पर इतना नहीं, जितना आम आदमी पार्टी करती है।
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