
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की घोषणा बस होने ही वाली है। एक हफ्ते या ज्यादा से ज्यादा 10 दिन में चुनावों की घोषणा हो जाएगी। चुनाव आयोग कोरोना के हालात की समीक्षा कर रहा है लेकिन वह एक तरह से दिखावा प्रतीत होता है क्योंकि सूत्रों के हवाले से खबर जारी की जा चुकी है कि आयोग चुनाव टालने के मूड में नहीं है। तभी पार्टियों की चुनावी तैयारी तेज हो गई है। पांचों राज्यों में लड़ने वाली ज्यादातर पार्टियों की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा हो गई है या अघोषित रूप से सबको पता है कि किस पार्टी का सीएम का चेहरा कौन है। लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस कहीं भी इसकी घोषणा नहीं कर रही है। CM contender of Congress
उत्तर प्रदेश में भाजपा योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने के लिए लड़ रही है तो समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव और बसपा की ओर से मायावती घोषित दावेदार हैं। उत्तराखंड में भाजपा अपने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम पर लड़ रही है तो आम आदमी पार्टी ने रिटायर सैन्य अधिकारी अजय कोटियाल को चेहरा बनाया है। गोवा में भाजपा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के चेहरे पर लड़ रही है और मणिपुर में भी उसके मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ही दावेदार हैं। आप ने गोवा में ऐलान कर दिया है कि मुख्यमंत्री ओबीसी में आने वाले भंडारी समुदाय से होगा और उप मुख्यमंत्री कैथोलिक होगा। पंजाब में अकाली दल से सुखबीर बादल घोषित दावेदार हैं तो भाजपा गठबंधन से कैप्टेन अमरिंदर सिंह और विजय सांपला अघोषित दावेदार हैं। आप को अभी पंजाब में फैसला करना है।
Read also ‘सत्ता’ संग ही 47 में ‘भय’ भी ट्रांसफर!
इन सब पार्टियों के उलट कांग्रेस में कुछ भी तय नहीं है। कांग्रेस हर जगह सामूहिक नेतृत्व में लड़ने की बात कर रही है। इसका नतीजा यह हुआ है कि राज्यों में पार्टी के बड़े नेता यानी क्षत्रप किस्म के नेता अपनी ताकत लगाने से हिचक रहे हैं। उत्तराखंड का विवाद इसी वजह से हुआ है। राहुल गांधी ने राज्य के नेताओं से मुलाकात में हरीश रावत को हरी झंडी दी जरूर लेकिन किसी के नाम की घोषणा नहीं की गई। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस किसके नाम पर और किसको मुख्यमंत्री बनाने के लिए लड़ रही है यह किसी को पता नहीं है। प्रियंका गांधी वाड्रा मेहनत कर रही हैं पर क्या अपने लिए?
ध्यान रहे गोवा में पिछली बार कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। उसने 17 और भाजपा ने 12 सीटें जीती थीं लेकिन मुख्यमंत्री का दावेदार सामने नहीं होने और सरकार बनाने का दावा करने में देरी की वजह से कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकी और बाद में पार्टी टूट कर बिखर गई। इससे कांग्रेस ने कोई सबक नहीं लिया है और इस बार भी किसी का चेहरा आगे नहीं किया जा रहा है। पिछली बार सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे दिगंबर कामत अभी कांग्रेस में हैं लेकिन कांग्रेस उनका नाम घोषित नहीं कर रही है।