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चुनाव टालने का फैसला कौन करेगा?

ByNI Political,
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चुनाव टालने का फैसला कौन करेगा?
क्या कोरोना वायरस की तीसरी लहर के कारण पांच राज्यों के चुनाव टल सकते हैं? अगर चुनाव टलने हैं तो इसका फैसला कौन करेगा? संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक केंद्रीय चुनाव आयोग को इस बारे में फैसला करना होता है लेकिन क्या आयोग इस स्थिति में है कि वह चुनाव टाल सके? कोरोना वायरस की दूसरी लहर की आशंका के बीच आयोग ने इस साल के शुरू में पांच राज्यों के चुनाव की घोषणा की थी और मार्च-अप्रैल में जब दूसरी लहर अपने पीक पर थी तब आयोग ने चुनाव कराया था। जिस दिन देश में चार लाख केस आए थे उस दिन पश्चिम बंगाल में आखिरी चरण का मतदान था। सोचें, जिस दिन चार लाख केस आए थे उस दिन मतदान हो रहा था, जबकि अभी तो हर दिन औसतन सात हजार केस आ रहे हैं। कहां देश में चार लाख केस और कहां सात हजार केस! जो चुनाव आयोग 24 घंटे में चार लाख केस मिलने पर चुनाव करा रहा था वह सात हजार केस मिलने पर चुनाव कैसे टालेगा? कहते हैं कि दूध का जला छांछ भी फूंक पर पीता है लेकिन क्या आयोग यह एप्रोच दिखा पाएगा? मार्च-अप्रैल के पहले हफ्ते में जब एक लाख से ज्यादा केसेज आने लगे थे तब सभी पार्टियों ने आयोग से कहा था कि वह बंगाल के चुनाव अब एक या दो चरण में करा कर निपटाए लेकिन आयोग ने पूरे महीने प्रचार भी चलने दिया और चुनाव भी कराए। राहुल गांधी ने 22 अप्रैल को रैली रद्द करने का खुद से फैसला किया। आयोग ने कोई रैली भी रद्द नहीं कराई। तभी तमिलनाडु हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि क्यों नहीं आयोग के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जाए। ध्यान रहे चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल के केसेज में नौ गुना बढ़ोतरी हुई थी। इसलिए यह उम्मीद करना बेमानी है कि आयोग दूरदृष्टि दिखाएगा और तथ्यों के आधार पर कोई फैसला करेगा। हां, अगर केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दल चाहें तो अलग बात है।
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