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जजों की नियुक्ति क्यों रूकी है?

ByNI Political,
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जजों की नियुक्ति क्यों रूकी है?
देश के न्यायिक इतिहास में जो कभी नहीं हुआ वह अब हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस कहीं राज्यपाल बन रहे हैं तो कहीं राज्यसभा में भेजे जा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जज सार्वजनिक रूप से राजनीतिक नेतृत्व की तारीफ कर रहे हैं। और इस बीच देश भर में न्यायिक नियुक्तियां रूकी हुई हैं। राज्यों की उच्च अदालतों में जजों के पद खाली होते जा रहे हैं और उन्हें भरा नहीं जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि जैसे सरकार ने दूसरे सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में कर्मचारियों की संख्या घटाने के लिए यह रणनीति अपनाई है कि रिटायर होने वालों की जगह पर नई नियुक्ति नहीं करेंगे, वहीं रणनीति न्यायपालिका में भी चलाई जा रही है। मिसाल के तौर पर पटना हाई कोर्ट में 53 जजों के पद हैं पर अभी सिर्फ 21 जज काम कर रहे हैं और 32 पद खाली हैं। लेकिन कहीं कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही है। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में चार जजों के पद खाली हो गए हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस इंदु मल्होत्रा अगले महीने रिटायर हो रहे हैं। उसके बाद इसी साल जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा भी रिटायर होंगे। जस्टिस बोबड़े ने अभी तक के अपने कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम से कोई सिफारिश नहीं की है। जस्टिस एचएल दत्तू के बाद वे दूसरे चीफ जस्टिस होंगे, जिनकी अध्यक्षता में कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट में कोई जज नियुक्त करने की सिफारिश नहीं करेगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि अगर कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश करती है और वरिष्ठता के पैमाने पर ही करती है तो त्रिपुरा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी भी सुप्रीम कोर्ट में आएंगे। वे वरिष्ठता क्रम में गुजरात के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और दिल्ली के चीफ जस्टिस डीएन पटेल के बाद तीसरे नंबर पर हैं। सवाल है कि क्या उनकी वजह से कॉलेजियम सिफारिश नहीं कर रही है? वे अगले महीने रिटायर हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि गुजरात हाई कोर्ट में जज रहते उन्होंने कुछ ऐसे फैसले दिए, जिनसे मौजूदा सरकार नाराज है। जस्टिस अकील कुरैशी मुंबई हाई कोर्ट में भी जज थे और 2019 में उनको सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की थी पर रहस्यमय तरीके से बाद में कॉलेजियम ने सिफारिश बदल दी और उनको त्रिपुरा का चीफ जस्टिस बनाया।
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