महाराष्ट्र में विधानसभा का सत्र क्यों नहीं बुलाया जा रहा है? महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रही शिव सेना के दो-तिहाई से ज्यादा विधायक बागी हो गए हैं और राज्य छोड़ कर असम के गुवाहाटी में बैठे हैं। इससे साफ तौर पर सरकार अल्पमत में आई हुई है। इसके बावजूद किसी को इस बात की हड़बड़ी नहीं है कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए और सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा जाए। शिव सेना के बागी विधायकों ने राज्यपाल के पास डिप्टी स्पीकर के खिलाफ शिकायत की है। उन्होंने शिव सेना के विधायकों के दस्तखत वाली चिट्ठी भी राज्यपाल को भेजी है। यह ही है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोरोना से संक्रमित हैं और अस्पताल में हैं। लेकिन वे वहां से सत्र बुलाने और उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं। लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।
ध्यान रहे डिप्टी स्पीकर को हटा कर नए स्पीकर का चुनाव कराने के लिए भी सत्र बुलाने की जरूरत है। विधानसभा का सत्र चल रहा होगा तभी डिप्टी स्पीकर को हटाने का नोटिस दिया जा सकेगा और उसके बाद 14 दिन तक उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार करना होगा। उसके बाद ही उनको हटाया जा सकेगा। शिव सेना के बागी विधायकों और भाजपा को भी अंदेशा है कि डिप्टी स्पीकर बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कर देंगे। इसे रोकने के लिए उनको अपना स्पीकर बनाना होगा। पर उसके लिए पहले सत्र बुलाना होगा।
इस बीच डिप्टी स्पीकर ने शिव सेना के अनुरोध पर 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने विधायकों को सोमवार तक जवाब देने को कहा है। अगर वे संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे सभी विधायकों को अपने सामने हाजिर होने के लिए भी कह सकते हैं या सीधे उनकी सदस्यता खत्म कर सकते हैं। उसके बाद विधायकों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचेगा। लेकिन अगर शिव सेना के बागी विधायकों और भाजपा को भरोसा है कि सरकार अल्पमत में आ गई है तो सबसे आसान तरीका यह है कि सत्र बुलवाएं और अपना स्पीकर चुनवा कर सरकार को अल्पमत में साबित करें। पर मुश्किल यह है कि राज्यपाल ने पिछले ही दिनों यह कहते हुए स्पीकर का चुनाव रूकवा दिया था कि मामला अदालत में लंबित है। फिर वे अभी कैसे यू-टर्न कर सकते हैं। कुल मिला कर मामला कानूनी दांव-पेंच में उलझा हुआ दिख रहा है। इससे शिव सेना को समय मिल रहा है।
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