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वेतन देने का संकट सिर्फ दिल्ली के सामने क्यों?

ByNI Political,
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वेतन देने का संकट सिर्फ दिल्ली के सामने क्यों?
कोरोना वायरस का संकट शुरू होने से कुछ ही दिन पहले दिल्ली सरकार को लेकर खबर आई थी कि कैसे अपने राजस्व का प्रबंधन किया है कि उसके पास सरप्लस फंड है। इसके लिए पढ़े-लिखे और आयकर अधिकारी रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भूरी-भूरी प्रशंसा हुई थी। लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के दो महीनों में सबसे बुरी दशा दिल्ली की हुई दिख रही है। बाकी दूसरे राज्य भी केंद्र से फंड मांग रहे हैं पर किसी ने यह रोना नहीं रोया है कि उसके पास अपने कोरोना वारियर्स यानी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नही हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कई बार यह बात कही और अब उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र को पत्र लिख कर पांच हजार करोड़ रुपया मांगा है ताकि दो महीने का वेतन दिया जा सके। पहला सवाल तो यह है कि दिल्ली सरकार के कोराना वारियर्स कितने हैं? ध्यान रहे कोरोना वारियर्स का मतलब पुलिस, अर्धसैनिक बल, डॉक्टर आदि हैं। इनमें से पुलिस का वेतन केंद्र सरकार को देना है और दिल्ली के आधे के करीब डॉक्टरों का वेतन भी केंद्र सरकार को ही देना है। तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों का वेतन भी केंद्र सरकार देगी। फिर भी दिल्ली सरकार ऐसे संकट में है कि उसके पास वेतन देने के पैसे नहीं हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड जैसे गरीब राज्यों में भी वेतन का ऐसा संकट नहीं आया है। सिर्फ दिल्ली सरकार ही वेतन का रोना रो रही है, जिसका दावा था कि वह सबसे बेहतरीन आर्थिक प्रबंधन वाला राज्य है।
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