कांग्रेस पार्टी गुजरात में क्या करेगी? गुजरात में भाजपा के विरोध में कांग्रेस की राजनीति का तुरुप का पत्ता पाटीदार वोट थे। लेकिन ऐसा लग रहा है कि उन्होंने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। गुजरात के शहरी निकाय चुनावों के बाद पंचायत चुनावों यानी ग्रामीण क्षेत्रों के चुनाव में भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पाटीदार समाज ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया। इसकी बजाय पाटीदार बहुलता वाले इलाकों में आम आदमी पार्टी को ज्यादा सफलता मिली। शहरी निकाय चुनाव में सूरत में शानदार प्रदर्शन करने के बाद आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने वहां जो सभा की उसका असर पंचायत चुनावों में दिखा है। पार्टी अलग अलग इलाकों में 40 से ज्यादा सीटें जीती है। आप के नेता इसे शुरुआत मान रहे हैं।
तभी कांग्रेस में इस बात पर मंथन शुरू हो गया है कि पाटीदार वोट को साथ बनाए रखने के लिए क्या किया जाए। ध्यान रहे पाटीदार पारंपरिक रूप से भाजपा के वोटर रहे हैं। लेकिन आरक्षण को लेकर पाटीदार अनामत आंदोलन समिति यानी पास के गठन के बाद इनकी भाजपा से दूरी बढ़ी। पास के नेता हार्दिक पटेल ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था, जिसकी वजह से कांग्रेस ने भाजपा को बराबरी की टक्कर दी थी। पर उसके बाद से पाटीदार भी अलग होते दिख रहे हैं। इस बार पास ने शहरी निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी का समर्थन किया था।
पाटीदार वोट अपने साथ बनाए रखने और केजरीवाल की पार्टी आप को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी हार्दिक पटेल को गुजरात प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना सकती है। ध्यान रहे शहरी और ग्रामीण निकाय चुनावों में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधायक दल के नेता परेश धनानी दोनों ने इस्तीफा दे दिया है। ये दोनों राहुल गांधी के बहुत करीब माने जाते हैं। हालांकि कांग्रेस के कई नेता मानते हैं किसी मजबूत पाटीदार नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना कांग्रेस के लिए बहुत फायदेमंद नहीं रहेगा।