देश के आम लोगों पर टैक्स की नई मार पड़ सकती है। लोगों को अप्रत्यक्ष कर से राहत देने के लिए एक देश, एक टैक्स की योजना के तहत वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी लागू किया गया था। इसके लागू होने के चार साल बाद तक कारोबारी और व्यापारी तो परेशान हैं और सरकार हर महीने एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स वसूली से खुश है। लेकिन अब खबर है कि सरकार टैक्स की न्यूनतम दरों में बढ़ोतरी पर विचार कर रही है। जीएसटी कौंसिल की पिछली बैठक से पहले खबर लीक कराई गई थी कि आम लोगों को राहत देने के लिए मंत्री समूह पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाने का प्रस्ताव लाएगा। लेकिन ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया। अब खबर लीक कराई गई है कि न्यूनतम दरों में एक फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। increase rate of GST
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ध्यान रहे जीएसटी की इस समय चार दरें हैं। सबसे कम पांच फीसदी और सबसे ज्यादा 28 फीसदी। इसके बीच 12 और 18 फीसदी के दो और स्लैब हैं। सबसे ऊंची दर गैरजरूरी या विलासिता की चीजों पर है, जिसके ऊपर उपकर भी लगाया गया है। सबसे कम पांच फीसदी दर आम लोगों के रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर है। कहा जा रहा है कि इसे बढ़ा कर छह फीसदी और 12 फीसदी की दर को बढ़ा कर 13 फीसदी करने का प्रस्ताव जीएसटी कौंसिल की अगली बैठक में आएगा। यह भी कहा जा रहा है कि एक स्लैब खत्म किया जा सकता है। अगर रोजमर्रा की चीजों पर एक फीसदी अप्रत्यक्ष टैक्स बढ़ता है तो बढ़ती महंगाई के बीच आम लोगों पर बहुत बड़ी मार पड़ेगी।
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