जम्मू कश्मीर की राजनीति को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। वहां विधानसभा कब बहाल होगी और कब चुनाव होंगे इस बारे में कोई कुछ नहीं जानता है पर राज्य में परिसीमन का काम शुरू हो गया है और उसके साथ ही राजनीतिक जोड़-तोड़ भी शुरू हो गई है। श्रीनगर में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए मेयर का बदला जाना इसी जोड़-तोड़ का नमूना है। भाजपा ने नेशनल कांफ्रेंस के चार पार्षदों के जरिए यह बदलाव कराया। इसके लिए पूर्व डिप्टी मेयर इमरान शेख को आगे किया गया।
मेयर पद से हटाए जाने के बाद जुनैद अजीम मट्टू ने नेशनल कांफ्रेंस पर आरोप लगाया कि उसने भाजपा से हाथ मिला लिया है। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस ने इसका विरोध किया है और उसने मट्टू के खिलाफ लाए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान गैरहाजिर रहने वाले अपने चार पार्षदों को पार्टी से निकाल दिया है। पर इससे अटकलों का दौर खत्म नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि नेशनल कांफ्रेंस और भाजपा के बीच तालमेल बन सकता है। दोनों पार्टियां पहले साथ रह चुकी हैं।
हालांकि अब जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने और राज्य का बंटवारा करने के बाद स्थितियां बदली हैं। अब कश्मीर घाटी की राजनीति करने वाली कोई पार्टी भाजपा से नहीं मिलना चाहेगी। तभी यह भी कहा जा रहा है कि दोनों में अंदरखाने तालमेल हो सकता है। ध्यान रहे पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती कि रिहाई अभी तक नहीं हुई है, जबकि अब्दुल्ला परिवार को राहत मिल गई है।
नेशनल कांफ्रेंस और भाजपा क्या साथ आएंगे?
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