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कांग्रेस में क्या संसदीय बोर्ड बनेगा?

ByNI Political,
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कांग्रेस में क्या संसदीय बोर्ड बनेगा?
parliamentary board Congress party कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में कुछ बदलाव होने की संभावना है। यह बदलाव कब होगा, कोई नहीं कह सकता है क्योंकि कांग्रेस में फैसले आसानी से नहीं होते हैं और होते हैं तो उनको लागू करना और मुश्किल होता है। लेकिन पार्टी के जानकार नेताओं का कहना है कि संगठन चुनावों के साथ ही इन बदलावों को लागू किया जाएगा। संगठन चुनाव का मामला कोरोना वायरस की महामारी की वजह से टला हुआ है और हो सकता है कि काफी समय तक टला रहे। असल में कांग्रेस के नेता किसी न किसी बहाने से पिछले दो साल से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टाल रहे हैं और अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव तक भी अध्यक्ष का चुनाव टला रह सकता है। Read also राहुल के पुराने लोगों की वापसी होगी बहरहाल, संगठन के चुनाव जब भी हों और पार्टी को जब भी नया अध्यक्ष मिल पर यह तय है कि इस बार संगठन का रूप-रेखा बदली हुई होगी। कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर एक संसदीय बोर्ड बन सकता है। कांग्रेस संगठन में संसदीय बोर्ड बनाने का प्रावधान है, जिसमें चुनिंदा सदस्य होते हैं। यह भाजपा के संसदीय बोर्ड की ही तरह होता है। इस हर मामले में फैसले करने का अधिकार होता है। अगर कांग्रेस में संसदीय बोर्ड का गठन होता है तो माना जा रहा है कि फैसले जल्दी होंगे। ध्यान रहे कांग्रेस कार्यसमिति बहुत बड़ी है और इसकी बहुत नियमित बैठकें नहीं हो सकती हैं। इसलिए संसदीय बोर्ड बना कर उसमें फैसला होगा और फिर उस पर कार्यसमिति की बैठक में मुहर लग जाएगी। Read also ओलंपिक का श्रेय लेने की होड़ बताया जा रहा है कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी जल्दी फैसले करने के लिए कांग्रेस की एक छोटी कमेटी बनाने का सुझाव दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष की अगुवाई में इस कमेटी में कुछ चुनिंदा नेताओं को सदस्य रखा जाएगा। कांग्रेस में संसदीय बोर्ड का जो प्रावधान है वह नौ सदस्यों की एक बॉडी होती है। ये सभी नौ सदस्य पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के पदेन सदस्य होते हैं। कुल 18 सदस्यों की चुनाव समिति में बाकी नौ सदस्यों के चुनाव होते हैं। टिकट बंटवारे में इस समिति का बड़ा महत्व होता है। Read also कर्नाटक भाजपा में विवाद नहीं थमेगा बहरहाल, कांग्रेस संसदीय बोर्ड का भी चुनाव होता है। कार्यसमिति के सदस्य संसदीय बोर्ड के नौ सदस्यों का चुनाव करते हैं। पिछले साल जब कांग्रेस के 23 नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष को संगठन चुनावों के लिए चिट्ठी लिखी थी उसके बाद कार्यसमिति में फेरबदल की गई थी और बागी नेताओं की परवाह किए बगैर सोनिया गांधी ने कार्यसमिति के चुनाव कराने की बजाय अपनी पसंद से कुछ नेताओं को मनोनीत किया था। इसलिए इस कार्यसमिति से संसदीय बोर्ड का चुनाव कराने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। पर यह भी कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर फैसले करने वाली समिति इससे भी छोटी रखना चाहते हैं। यानी चार-पांच लोगों की एक कमेटी हो, जो किसी भी मसले पर फटाफट फैसले करे। अब देखना है कि ऐसी कोई समिति बनती है या संसदीय बोर्ड बनता है या कुछ और होता है।
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