गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 89 सीटों पर हुए मतदान का जो आंकड़ा आया है उसमें कुछ हैरान करने वाली बातें हैं। सबसे हैरानी की बात है कि गुजरात में महिलाएं कम वोट करती हैं। पुरुषों के मुकाबले उनका वोट प्रतिशत काफी कम होता है और यह लगातार होता है। देश के दूसरे हिस्सों में, ज्यादातर राज्यों में इन दिनों महिलाएं ज्यादा मतदान करने लगी हैं। पुरुषों से ज्यादा महिलाएं मतदान करती हैं। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव में भी ओवरऑल मत प्रतिशत देखें तो उसमें महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों के लगभग बराबर हो गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में महिलाओं के वोट का प्रतिशत पुरुषों से महज 0.40 फीसदी कम था। इतना ही नहीं देश के कई बड़े राज्यों- बिहार, केरल, तमिलनाडु, झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, गोवा, ओड़िशा सहित कुल 16 राज्यों में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था।
अगर विधानसभा चुनावों की बात करें तो ज्यादातर राज्यों में महिलाएं ज्यादा वोट कर रही हैं। उत्तर प्रदेश की मिसाल ली जा सकती है, जहां सदी की शुरुआत में 2002 के चुनाव में 50 फीसदी महिलाओं और 57 फीसदी पुरुषों ने वोट डाले थे, जबकि 2017 के चुनाव में 60 फीसदी पुरुषों और 63 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले। इस साल यानी 2022 के चुनाव में भी हर चरण में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट डाले। बिहार में तो पुरुषों और महिलाओं के वोट का अंतर छह फीसदी तक पहुंच गया है। लेकिन गुजरात में इस साल पहले चरण की 89 सीटों पर 60.75 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले और पुरुषों का वोट प्रतिशत 65.69 फीसदी रहा। पिछली बार यानी 2017 में 64.33 फीसदी महिलाओं और 69.04 फीसदी पुरुषों ने वोट डाले थे। गुजरात की महिलाएं कम मतदान क्यों करती हैं, इस बारे में भाजपा के नेता शादी का सीजन होने जैसी बातें बता रहे हैं। लेकिन इसकी सामाजिक, राजनीतिक नजरिए से व्याख्या करने की जरूरत है।