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Dronacharya Awardee बॉक्सिंग कोच OP Bhardwaj का निधन, मुक्केबाजी में देश को दिलाए कई पदक

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Dronacharya Awardee बॉक्सिंग कोच OP Bhardwaj का निधन, मुक्केबाजी में देश को दिलाए कई पदक
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच देश ने एक और प्रतिष्ठित हस्ती को खो दिया है. द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित ( India's first Dronacharya Awardee ) पूर्व भारतीय कोच ओपी भारद्वाज ( OP Bhardwaj ) का लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार को निधन हो गया। ओपी भारद्वाज 82 साल के थे। भारद्वाज को 1985 में द्रोणाचार्य पुरस्कार शुरू किए जाने पर बालचंद्र भास्कर भागवत (कुश्ती) और ओएम नांबियार (एथलेटिक्स) के साथ कोचिंग को दिए जाने वाले इस सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आपको बता दें कि इससे पहले देष ने चिपको आंदोलन के प्रणेता और प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को खो दिया था। ओपी भारद्वाज 21 साल तक बॉक्सिंग (Boxing Coach ) के नेशनल कोच रहे। भारद्वाज ने देशभर में हजारों बॉक्सरों को तैयार करने का काम किया। भारद्वाज के निधन के बाद से खेल जगत में शोक की लहर है. खेल जगत की कई हस्तियों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है. बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने जताया शोक है। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. सिंह ने कहा कि ओ पी भारद्वाज मुक्केबाजी खेल के ध्वजवाहक थे. यह भी पढ़ें:- देश ने खोया महान पर्यावरणविद्, वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध Sunderlal Bahuguna का निधन, CM तीरथ सिंह रावत ने जताया दुख 10 दिन पहले हुआ था पत्नी का निधन पूर्व बॉक्सिंग कोच और भारद्वाज की पत्नी का भी 10 दिन पहले ही निधन हो गया था, जिससे उन्हें गहरा आघात लगा था। जिसके बाद उनकी तबीयत में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। भारद्वाज 1968 से 1989 तक भारतीय राष्ट्रीय मुक्केबाजी टीम के कोच थे। वह राष्ट्रीय चयनकर्ता भी रहे। भारतीय मुक्केबाजी के अग्रज भारद्वाज राष्ट्रीय खेल संस्थान पटियाला के पहले मुख्य प्रशिक्षक थे. यह भी पढ़ेंः- Women’s cricket : भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पूर्व कोच डब्ल्यूवी रमन ने महिला टीम से कहा, टेस्ट की चिंता न करें, वनडे और टी20 पर ध्यान दें कोच रहते हुए टीम को पहुंचाया शिखर पर ओपी भारद्वाज ने 2008 में कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी को भी दो महीने तक मुक्केबाजी के का प्रशिक्षण दिया था। जब भारतीय मुक्केबाजी टीम के कोच थे तब उन्होंने टीम को शिखर पर पहुंचाने का काम किया था। उनके कोच रहते हुए भारतीय मुक्केबाजों ने एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और दक्षिण एशियाई खेलों में पदक जीते थे।
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