बेंगलुरु। पिछले साल टोक्यो में ओलंपिक टेस्ट इवेंट से भारतीय पुरुष सीनियर हॉकी टीम में पदार्पण करने वाले मिडफील्डर शमशेर सिंह का एक ही लक्ष्य था कि इस साल होने वाले मुख्य टूर्नामेंटों के लिए टीम में अपनी जगह बनाने के लिए उन्हें खुद को साबित करना था।
लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण उनकी योजनाएं अधूरी रह गई। 23 वर्षीय शमशेर ने कहा, मैं बहुत मुश्किल पृष्ठभूमि से आया हूं। मेरे पिता खेती करके आजीविका चलाते थे। हॉकी में शुरुआत में मैंने कई परेशानियों का सामना किया, जिसमें मुझे स्टिक, किट और जूतों के लिए जूझना पड़ा।
उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि पिछली परिस्थितियों ने मुझे अनिश्चित हालात को स्वीकार करने करने में मदद की। इस साल इस महामारी ने हम सभी को रोक दिया। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने लक्ष्यों पर ध्यान लगाए हुए हैं। युवा मिडफील्डर शमशेर के लिए पिछले साल टोक्यो में ओलंपिक टेस्ट इवेंट यादगार रहा था क्योंकि भारत ने फाइनल में न्यूजीलैंड को 5-0 से हराकर टूर्नामेंट जीता था और इसी मैच में उन्होंने सीनियर टीम के लिए अपना पहला गोल किया था।
शमशेर ने कहा, मैं अपने खेल मे और सुधारना चाहता था और इस साल होने वाले महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों में मौके ढूंढना चाहता था। लेकिन महामारी के कारण बदलते परि²श्य में मैंने अपना ध्यान अपनी बेसिक्स सुधारने और टीम के सीनियर खिलाड़ियों के साथ अनुभव हासिल करने में लगाया है।
भारतीय हॉकी टीम के लिए भरोसेमंद खिलाड़ी बनना लक्ष्य : शमशेर सिंह
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