कांग्रेस पार्टी संशोधित नागरिकता कानून और संभावित एनआरसी को लेकर भाजपा और मीडिया के बनाए नैरेटिव को बदलने का प्रयास कर रही है। सीएए और एनआरसी को लेकर ऐसी धारणा बनी है, जैसे यह हिंदू-मुस्लिम का मामला है। इस दोनों का विरोध कर रही भीड़ और जिन इलाकों में विरोध हो रहा है उससे भी इस धारणा को बल मिला है। यह भाजपा के लिए चुनावी रूप से फायदेमंद हो सकता है। तभी कांग्रेस की ओर से इस धारणा को बदलने का प्रयास शुरू हो गया है। सोनिया और प्रियंका गांधी दोनों ने इसका प्रयास किया।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि यह हिंदू बनाम मुस्लिम का मामला नहीं है, बल्कि गरीब का मामला है। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून और संभावित नागरिक रजिस्टर से सबसे ज्यादा नुकसान गरीब को उठाना पड़ेगा। सोनिया गांधी ने भी अपने संदेश में यहीं कहा कि देश के लोगों को अपनी नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज लेकर लाइन में लगना होगा और इसमें सबसे ज्यादा परेशानी गरीब को होगी।
जानकार सूत्रों का कहना है कि दलित राजनीति में नए और आक्रामक चेहरे के तौर पर उभरे भीम सेना के चंद्रशेखर आजाद को भी इसी मकसद से मैदान में उतारा गया। अब तक नागरिकता कानून के विरोध में जो आंदोलन हो रहा था उसमें या तो कांग्रेस और लेफ्ट के नेता दिख रहे थे या मुस्लिम चेहरे दिखाई दे रहे थे। इससे भाजपा को अपनी पसंद का नैरेटिव बनाने में आसानी हो रही थी।
चंद्रशेखर आजाद के आंदोलन में शामिल होने से कांग्रेस का एजेंडा स्थापित हुआ है। इस बात को बल मिला है कि यह गरीब, पिछड़े, दलित और वंचित से जुड़ा मामला है। इससे भाजपा और केंद्र सरकार भी बैकफुट पर आए हैं। तभी शुक्रवार से सफाई देने का सिलसिला शुरू हुआ। सूत्रों के हवाले से या मुख्तार अब्बास नकवी के जरिए केंद्र सरकार की ओर से सफाई दी गई कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। नकवी ने यह भी कहा कि एनआरसी का फैसला अभी तक नहीं हुआ है।
कांग्रेस की धारणा बदलवाने की कोशिश
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