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थरूर के सामने ज्यादा विकल्प नहीं हैं

शशि थरूर

केरल की तिरूवनंतपुरम सीट से लगातार चौथी बार लोकसभा का चुनाव जीते कांग्रेस नेता शशि थरूर की कांग्रेस से दूरी बढ़ रही है। ऐसा लग रहा है कि वे असम के हिमंत बिस्वा सरमा के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। हिमंत बिस्वा सरमा के भी कांग्रेस से अलग होने की कहानी ऐसे ही शुरू हुई थी। वे भी प्रदेश कांग्रेस की गतिविधियों से नाराज थे। वे भी राहुल गांधी से मिलने गए थे और राहुल गांधी ने उनकी बात को तवज्जो नहीं दी थी। उसी तरह थरूर ने पहले केरल की कम्युनिस्ट सरकार की नीतियों की तारीफ की। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की उपलब्धियों का जिक्र किया। उसके बाद वे राहुल गांधी से मिले और बाद में कहा कि राहुल ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।

अब उन्होंने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ फोटो शेयर की है। हालांकि वे कह रहे हैं कि कांग्रेस में चाहे जो भी मतभेद हो वे पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं। अच्छी बात है कि वे पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं लेकिन आगे क्या करेंगे? वे इस बात से नाराज हैं कि वे कांग्रेस के बुरे वक्त में यानी 2014 और 2019 में भी जीते लेकिन उन्हें कोई संसदीय जिम्मेदारी नहीं दी गई। केरल की प्रदेश राजनीति में भी उनको आगे नहीं बढ़ाया गया और इस बार भी चुनाव में पार्टी उनका चेहरा नहीं आगे करने वाली है।

लेकिन सवाल है कि वे करेंगे क्या? गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी पहले उनको साथ लेना चाहती थी। केरल में भाजपा को एक चेहरे की जरुरत है। लेकिन उनकी दिवंगत पत्नी को लेकर भाजपा के शीर्ष नेताओं ने जैसी टिप्पणियां की हैं या पत्नी की संदिग्ध मौत के बाद उनकी भूमिका की जैसी पड़ताल हुई है उसमें भाजपा उनको साथ लेती है तो मुश्किल होगी। वैसे वे कह चुके हैं कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने नए लोगों के आगे आने की बात कही थी। ऐसे में उनका अपनी बात से पीछे हटना भी आसान नहीं होगा। उन्होंने भाजपा और लेफ्ट दोनों की तारीफ करके भी कंफ्यूजिंग मैसेज दिया है।

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