अधीर रंजन चौधरी को एक पद छोड़ना होगा। वे लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता हैं और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। सो, अब सवाल है कि दोनों में से वे कौन सा पद छोड़ेंगे? ज्यादा संभावना इस बात की है कि वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ेंगे। बतौर कांग्रेस अध्यक्ष उनका प्रदर्शन बहुत खराब हुआ है। वे अपने संसदीय क्षेत्र में भी कोई सीट नहीं जीता पाए। लेफ्ट और आईएसएफ के साथ तालमेल का फैसला भी गलत साबित हुआ। पार्टी पर फिर से मुस्लिम कट्टरपंथी पार्टियों के साथ जाने का आरोप लगा और बदले में कुछ मिला भी नहीं। इसलिए वैसे भी उनको अध्यक्ष पद छोड़ देना चाहिए।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि अधीर रंजन चौधरी के अध्यक्ष पद छोड़ने के नतीजों के अलावा दो मुख्य कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि लोकसभा में पार्टी के पास दूसरा कोई बड़ा और अच्छा नेता नहीं है। या तो राहुल गांधी लोकसभा में नेता बनें नहीं तो ले-देकर बात शशि थरूर पर आकर रूकती है। इस मजबूरी में अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में नेता बने रहेंगे। दूसरा कारण यह है कि पश्चिम बंगाल में अब कांग्रेस पार्टी ममता बनर्जी से बहुत ज्यादा पंगा नहीं बढ़ाना चाहती है। ध्यान रहे अधीर रंजन और ममता बनर्जी के बिल्कुल नहीं बनती है। इसलिए कांग्रेस में किसी ऐसे नेता को आगे करने की सोच है, जो ममता के साथ कामकाजी रिश्ता बना सके।