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क्या वैभव सूर्यवंशी का शतक महज एक तुक्का था! जानें सच….

वैभव सूर्यवंशी

क्या वैभव सूर्यवंशी का शतक महज़ एक तुक्का था? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि उस विस्फोटक पारी के बाद की तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं। वैभव सूर्यवंशी, जिसने 35 गेंदों में शतक जड़कर हर किसी को चौंका दिया था, वो प्रदर्शन अगले दो मैचों में कहीं नज़र नहीं आया।

खास बात ये है कि दोनों मैचों में जिस तरह की गेंद पर वैभव का विकेट गिरा, उसका मिजाज लगभग एक जैसा था – और यहीं से शंका की लकीरें खिंच गईं। अब उनके शतक को भी लोग संयोग मानने लगे हैं।

लेकिन इस सवाल से पहले, ये जानना ज़रूरी है कि सिर्फ 14 साल की उम्र में वैभव ने क्या किया और क्या झेला है। उस शतक की पारी ने उन्हें चर्चा में जरूर ला दिया, लेकिन अब उन पर सवालों की बौछार भी हो रही है।

गुजरात के खिलाफ वैभव ने लगाया था शतक

वैभव सूर्यवंशी… एक ऐसा नाम जिसने महज़ कुछ ही दिनों में क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बना ली। 14 वर्षीय इस युवा खिलाड़ी ने 19 अप्रैल को IPL में पदार्पण किया और 28 अप्रैल को ऐसा तूफान मचाया कि पूरा क्रिकेट जगत हैरान रह गया।

गुजरात टाइटंस के खिलाफ खेले गए मुकाबले में वैभव ने मात्र 38 गेंदों में 101 रन ठोक डाले, जिसमें 11 छक्के और 7 चौके शामिल थे। वैभव सूर्यवंशी का शतक सिर्फ 35 गेंदों में आया, जिससे वह IPL इतिहास में सबसे तेज़ शतक जमाने वाले भारतीय खिलाड़ी बन गए। यही नहीं, वैभव T20 क्रिकेट इतिहास में शतक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए।

उनकी यह पारी ना सिर्फ विस्फोटक थी, बल्कि भरोसे और आत्मविश्वास की मिसाल भी थी। जिस सहजता और आक्रामकता से उन्होंने गेंदबाज़ों को बाउंड्री पार भेजा, उससे यह साफ़ था कि उनमें कुछ खास है। उनके शॉट चयन, टाइमिंग और मैदान में मौजूदगी ने अनुभवी खिलाड़ियों को भी चौंका दिया।

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ होता है, और वैभव सूर्यवंशी की कहानी में यह मोड़ आया 1 मई को, जब उन्होंने मुंबई इंडियंस के खिलाफ अगला मैच खेला। इस मैच में वो शून्य पर आउट हो गए — सिर्फ 2 गेंदों का सामना कर पाए। फिर, 4 मई को कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ भी वैभव का बल्ला खामोश रहा।

शतक तुक्का या नहीं…क्यों उठा ये सवाल?

एक बार फिर 2 गेंदों का सामना, और फिर से शून्य। दो लगातार “डक” के बाद सवाल उठने लगे — क्या गुजरात के खिलाफ लगाया गया शतक केवल एक तुक्का था?

यह सवाल उठना स्वाभाविक है। क्रिकेट में अक्सर एक पारी खिलाड़ी को स्टार बना देती है, लेकिन उस चमक को बनाए रखना ही असली चुनौती होती है। वैभव की उम्र सिर्फ 14 साल है — एक किशोर जिसकी जिंदगी अभी मैदान में आकार ले रही है। शतक तुक्का था या नहीं, इसका जवाब समय देगा, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ऐसा शतक केवल भाग्य से नहीं आता।

शायद ये दो खराब पारियां उनके अनुभव की कमी को दर्शाती हैं, या शायद बड़े मंच का दबाव असर डाल गया। लेकिन जो खिलाड़ी 35 गेंदों में शतक ठोक सकता है, उसके अंदर प्रतिभा तो है ही। ज़रूरत है तो सिर्फ संयम, धैर्य और निरंतर अभ्यास की।

वैभव सूर्यवंशी का IPL सफर अभी शुरुआत में है। भविष्य में वो क्या बनेंगे, ये उनकी मेहनत, मानसिकता और कोचिंग पर निर्भर करेगा। लेकिन इतना तो तय है कि उन्होंने दुनिया को अपने हुनर की एक झलक दिखा दी है — और यही झलक उन्हें भारतीय क्रिकेट का अगला सितारा भी बना सकती है।

क्या पकड़ ली गई वैभव की कमजोरी?

क्रिकेट में एक कहावत है — “हर बल्लेबाज़ की कोई ना कोई कमजोरी होती है, बस ज़रूरत है उसे पकड़ने की।” क्या यही हाल वैभव सूर्यवंशी का भी है? हाल ही की पारियों को देखकर तो ऐसा ही लगता है।

जिस खिलाड़ी ने गुजरात के खिलाफ शतक जड़कर सबका दिल जीत लिया, वही खिलाड़ी अगले दो मैचों में एक जैसी गेंदों पर आउट हो गया। और यहीं से उठता है बड़ा सवाल — क्या विरोधी गेंदबाजों ने वैभव सूर्यवंशी की कमजोरी भांप ली है? मुंबई इंडियंस के खिलाफ दीपक चाहर की फोर्थ स्टंप के बाहर की गेंद को खेलने के चक्कर में वैभव ने आसान सा कैच थमा दिया।

और फिर कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ वही स्क्रिप्ट दोहराई गई — वैभव अरोड़ा की आउटस्विंग गेंद पर वैभव सूर्यवंशी एक बार फिर छेड़छाड़ करते दिखे और सीधे पवेलियन लौट गए। दोनों ही बार गेंदबाजों ने एक ही ज़ोन को टारगेट किया, और दोनों बार वैभव ने वही गलती दोहराई — बाहर जाती गेंद पर गैर-ज़रूरी छेड़छाड़।

क्या वो शतक महज़ एक तुक्का

अब सवाल ये भी उठता है — क्या वो शतक महज़ एक तुक्का था या फिर वैभव सूर्यवंशी वाकई में एक शानदार बल्लेबाज़ हैं जो बस कुछ गलत फैसलों के शिकार हो गए?

आने वाले दो मैच इस सवाल का जवाब दे सकते हैं। राजस्थान का अगला मुकाबला चेन्नई सुपर किंग्स और पंजाब किंग्स से है, और इन दोनों ही मैचों में वैभव के पास खुद को साबित करने का मौका होगा।

उम्मीद यही है कि वैभव पिछली दो पारियों की गलतियों से सबक लेंगे और फोकस के साथ बल्लेबाज़ी करेंगे। शॉट सेलेक्शन में सुधार दिखेगा और वो वही आत्मविश्वासी और आक्रामक वैभव बनकर सामने आएंगे, जैसा उन्होंने गुजरात के खिलाफ दिखाया था।

अगर वैभव सूर्यवंशी ने इस मौके का सही इस्तेमाल किया, तो ना सिर्फ वो अपनी आलोचनाओं का जवाब देंगे, बल्कि यह भी साबित करेंगे कि उनका शतक कोई इत्तेफाक नहीं, बल्कि उनकी असल काबिलियत का प्रदर्शन था। अब देखना ये है कि क्या वैभव सूर्यवंशी अपनी कमजोरी को ताकत में बदल पाते हैं या विरोधी गेंदबाज़ फिर से उनके कमजोर नर्व पर वार कर पाते हैं।

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PIC CREDIT-  GROK 

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