भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह एक भावनात्मक क्षण है, क्योंकि टीम इंडिया के महान बल्लेबाज़ और पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने टेस्ट क्रिकेट से आधिकारिक तौर पर संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है।
विराट कोहली ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम के माध्यम से दी, जिसके बाद से क्रिकेट जगत में हलचल मच गई है। यह फैसला लंबे समय से कयासों में था, लेकिन अब उन्होंने इस पर अंतिम मुहर लगा दी है।
विराट कोहली (Virat Kohli) का टेस्ट करियर करीब 14 वर्षों का शानदार और प्रेरणादायक सफर रहा। उन्होंने अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी, अद्वितीय फिटनेस, और जबरदस्त नेतृत्व क्षमता से भारतीय टेस्ट क्रिकेट को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया।
Virat Kohli ने अपने करियर में भारत को कई ऐतिहासिक जीतें दिलाई हैं, जिनमें ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीत भी शामिल है। उन्होंने भारत के लिए 113 टेस्ट मैच खेले और इस दौरान अपने शानदार खेल से लाखों प्रशंसकों का दिल जीता।
उतार-चढ़ाव और अलविदा का भावुक मोड़
हालांकि हाल के वर्षों में उनका प्रदर्शन कुछ उतार-चढ़ाव वाला रहा। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) में कोहली का प्रदर्शन उनके मानकों के अनुसार खास नहीं रहा, जहां उन्होंने 23.75 की औसत से रन बनाए और 8 में से 7 बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर आउट हुए। इस सीरीज में उन्होंने 9 पारियों में कुल 190 रन, जिसमें एक नाबाद शतक शामिल है, बनाए।
पिछले 5 वर्षों में कोहली ने 37 टेस्ट खेले, लेकिन इस दौरान केवल 3 शतक ही बना पाए और उनका औसत 35 से भी नीचे चला गया, जो उनके स्वर्णिम दौर से कहीं कम था।
इससे पहले वह टी-20 इंटरनेशनल क्रिकेट से भी संन्यास ले चुके हैं, लेकिन IPL 2025 में उन्होंने एक बार फिर दिखा दिया कि उनके बल्ले में अभी भी आग बाकी है — अब तक 11 मैचों में 505 रन बनाकर वह शानदार फॉर्म में हैं।
कोहली ने BCCI को पहले ही अपने संन्यास की इच्छा जता दी थी, लेकिन बोर्ड ने उन्हें दोबारा विचार करने को कहा था। हालांकि, 2024 टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद विराट ने यह बड़ा कदम उठाया और टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
विराट कोहली का यह निर्णय निश्चित तौर पर भारतीय क्रिकेट में एक युग के अंत का प्रतीक है। उनकी आक्रामकता, जुनून, और जीत की भूख ने भारतीय टेस्ट टीम को एक नयी पहचान दी।
Virat Kohli ने न सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में बल्कि कप्तान के रूप में भी टेस्ट क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट को मजबूत नींव दी। उनके संन्यास के बाद मैदान पर उनकी गैरमौजूदगी जरूर महसूस की जाएगी, लेकिन उनका योगदान क्रिकेट इतिहास के सुनहरे पन्नों में हमेशा दर्ज रहेगा।
विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास – एक युग का अंत
विराट कोहली (Virat Kohli) ने अपने टेस्ट करियर के अंत की घोषणा करते हुए भावुक पोस्ट साझा की है। उन्होंने टेस्ट जर्सी में अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा,
“टेस्ट क्रिकेट में पहली बार बैगी ब्लू जर्सी पहने हुए 14 साल हो चुके हैं। ईमानदारी से कहूं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह फॉर्मेट मुझे किस सफर पर ले जाएगा। इसने मेरी परीक्षा ली, मुझे आकार दिया और ऐसे सबक सिखाए जिन्हें मैं जीवन भर साथ रखूंगा।”
Virat Kohli ने अपने पोस्ट में टेस्ट क्रिकेट के प्रति अपने लगाव को खूबसूरती से बयां किया। उन्होंने लिखा कि व्हाइट जर्सी पहनना एक बेहद निजी अनुभव होता है – मेहनत, त्याग और ऐसे कई छोटे-छोटे पल जो दुनिया नहीं देखती, लेकिन खिलाड़ी के दिल में हमेशा जीवित रहते हैं।
विराट कोहली (Virat Kohli) का टेस्ट क्रिकेट में यह 14 साल लंबा सफर भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सुनहरे अध्यायों में से एक रहा है। कप्तानी हो या बल्लेबाजी – उन्होंने हर मोर्चे पर खुद को साबित किया और युवाओं के लिए एक मिसाल कायम की।
टेस्ट में कोहली…रोहित और धोनी से बेहतर कप्तान
जब भारतीय क्रिकेट की बात होती है, तो कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा का नाम सबसे पहले लिया जाता है, क्योंकि इन्होंने भारत को ICC ट्रॉफी दिलाई है।
लेकिन जब फोकस सिर्फ और सिर्फ टेस्ट क्रिकेट पर हो, तो विराट कोहली इन दोनों दिग्गजों से कहीं आगे नजर आते हैं। भले ही विराट कोहली कप्तान के रूप में कोई ICC टूर्नामेंट नहीं जीत पाए हों, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी कप्तानी का स्तर बेहद ऊँचा रहा है।
Virat Kohli की कप्तानी में भारत ने घरेलू मैदान पर जो दबदबा बनाया, वह आज तक कोई और भारतीय कप्तान नहीं बना सका। विराट कोहली ने भारत में कुल 11 टेस्ट सीरीज में कप्तानी की और सभी 11 में जीत हासिल की। उनकी कप्तानी में भारत ने कभी भी घरेलू टेस्ट सीरीज नहीं हारी। यह एक ऐसा रिकॉर्ड है, जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
वहीं दूसरी ओर, धोनी और रोहित दोनों की कप्तानी में भारत को घरेलू टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा है। खासकर रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत को न्यूजीलैंड के हाथों क्लीन स्वीप भी झेलनी पड़ी थी, जो उनके टेस्ट नेतृत्व पर सवाल उठाता है।
Virat Kohli ने 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहली बार घरेलू टेस्ट सीरीज में कप्तानी की थी। उस सीरीज में भारत ने 4 में से 3 टेस्ट जीतकर सीरीज पर कब्जा किया था। कोहली की आक्रामक फील्ड सेटिंग और अश्विन-जडेजा की स्पिन जोड़ी ने विरोधी टीमों को पस्त कर दिया।
टेस्ट क्रिकेट का बादशाह- विराट कोहली
विराट कोहली (Virat Kohli) न सिर्फ एक प्रेरणादायक कप्तान रहे, बल्कि एक बल्लेबाज के तौर पर भी उन्होंने खुद को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया। खासकर जब वे खुद कप्तान थे, तब उन्होंने अपने प्रदर्शन से यह साबित किया कि नेतृत्व उनके खेल को और बेहतर बनाता है।
कोहली ने बतौर कप्तान कुल 7 दोहरे शतक लगाए — यह किसी भी भारतीय कप्तान द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। 2014 के इंग्लैंड दौरे पर फ्लॉप रहने के बाद कोहली ने 2018 में उसी धरती पर शानदार वापसी करते हुए सबसे ज़्यादा रन बनाए और आलोचकों को करारा जवाब दिया।
ऑस्ट्रेलिया में वे हमेशा रन बनाते रहे हैं, और दक्षिण अफ्रीका में भी शतक जड़कर उन्होंने यह दिखाया कि वे हर परिस्थिति में खेल सकते हैं। यही कारण है कि ICC ने उन्हें 2020 में दशक का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर घोषित किया था।
कुल मिलाकर, टेस्ट क्रिकेट में विराट कोहली (Virat Kohli) का कद बाकी भारतीय कप्तानों से कहीं ऊँचा है। उनकी कप्तानी में भारत ने न केवल घरेलू मैदान पर अजेय प्रदर्शन किया, बल्कि विदेशी धरती पर भी शानदार संघर्ष दिखाया।
उन्होंने भारतीय टेस्ट टीम की मानसिकता को बदलते हुए एक आक्रामक, फिट और जीत की भूखी टीम में तब्दील किया। भले ही उनके नाम कोई ICC ट्रॉफी न हो, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनके योगदान और कप्तानी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
टेस्ट क्रिकेट में नए मानक गढ़ने वाला योद्धा-कोहली
विराट कोहली (Virat Kohli) का नाम आधुनिक क्रिकेट के सबसे बड़े सितारों में शुमार है, लेकिन जब बात टेस्ट क्रिकेट की आती है, तो उनकी कप्तानी का दौर खासतौर पर उल्लेखनीय बन जाता है।
विराट कोहली ने जब भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभाली, तब उन्होंने न केवल टीम को आक्रामक और लड़ाकू मानसिकता दी, बल्कि खुद की बल्लेबाजी में भी नई ऊँचाइयों को छुआ।
Virat Kohli एकमात्र भारतीय कप्तान हैं जिन्होंने अपनी कप्तानी के दौरान रिकॉर्ड 7 दोहरे शतक लगाए। यह आंकड़ा न केवल उनकी बल्लेबाजी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कप्तानी की जिम्मेदारी ने उनके खेल को और निखारा।
इंग्लैंड से लेकर ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका तक का सफर
2014 में इंग्लैंड दौरे पर Virat Kohli का बल्ला खामोश रहा था, लेकिन उन्होंने आलोचनाओं को चुनौती में बदला और 2018 के दौरे में जोरदार वापसी करते हुए सीरीज के टॉप रन स्कोरर बने।
ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने हर बार अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया और विदेशी जमीन पर भी दमदार बल्लेबाजी की। साउथ अफ्रीका में सेंचुरी लगाकर कोहली ने यह सिद्ध कर दिया कि वे हर परिस्थिति में खुद को ढाल सकते हैं। ऐसे ही लगातार प्रदर्शन के चलते ICC ने 2020 में उन्हें ‘दशक का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर’ घोषित किया।
विराट कोहली ने अब तक टेस्ट क्रिकेट में कुल 30 शतक लगाए हैं, जिनमें से 14 शतक उन्होंने भारत में बनाए हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि वे घरेलू परिस्थितियों में कितने मजबूत खिलाड़ी हैं। वहीं, न्यूजीलैंड में उन्होंने केवल एक शतक लगाया है, जो दिखाता है कि हर जगह रन बनाना आसान नहीं होता, लेकिन विराट का प्रयास कभी कम नहीं होता।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में संघर्ष
हालांकि कोहली के करियर में कुछ उतार-चढ़ाव भी आए हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) में विराट का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा, जहां उन्होंने 23.75 की औसत से रन बनाए और 8 में से 7 बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर आउट हुए।
इस सीरीज में कोहली ने 9 पारियों में केवल 190 रन, जिसमें एक नाबाद शतक शामिल था, बनाए। पिछले 5 वर्षों में उन्होंने 37 टेस्ट में मात्र 3 शतक लगाए और इस दौरान उनका औसत 35 से भी नीचे रहा।
टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद ऐसा लगा जैसे विराट अपने करियर के अंतिम चरण में हैं, लेकिन IPL 2025 में उन्होंने शानदार फॉर्म में लौटते हुए 11 मैचों में 505 रन ठोक दिए हैं। यह प्रदर्शन एक बार फिर साबित करता है कि विराट कोहली को कभी कम नहीं आंका जा सकता।
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