मेलबर्न में भारत-पाकिस्तान का मैच आखिर तक घनघोर रोमांच से भरा रहा। खेल में जो भी असंभव था वह सब संभव हुआ। आखिरी गेंद पर भारत ने पाकिस्तान को हराया। खेल की भी असंभव जीत हुई।.. भारत को जीतने के लिए आखिरी छह गेंद पर सोलह रन बनाने थे। बाएं हाथ के गेंदबाज मोहम्मद नवाज़ पर आखिरी ओवर करने की जिम्मेदारी थी। ओवर में नोबॉल हुई जिस पर छक्का लगा, और बल्लेबाज को फ्रीहिट भी मिली। नोबॉल भी पांव आगे निकलने वाली नहीं, बल्कि कमर से उंची आने के कारण दी गयी थी। यानी हर तरह से बल्लेबाज को फायदा ही पहुंचाया जाने का नियम-कानून बनाया गया।
महान असंभावनाओं के खेल क्रिकेट में भी गजब की संभावनाएं रहती हैं। और मैच अगर घोर प्रतिद्वंद्वियों के बीच में हो रहा हो तो संभव-असंभव के भी पार जा सकता है। क्रिकेट के सबसे नए प्रारूप बीसमबीस का विश्व कप आस्ट्रेलिया में खेला जा रहा है। बारह देशों के विश्व कप में घोर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी देश आपस में भिड़ेंगे। जैसे भारत-पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड, इंग्लैंड-आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका-ज़िंब्बावे। आयोजक एतिहासिक प्रतिद्वंद्विता से लोगों को उत्साहित करते हैं। और खेलों का बाजार भी चलता हैं। लोगों को खेल में भिड़ाना, युद्ध में लड़ाने से ज्यादा सामाजिक है। इसलिए खेल और जीवन दोनों ही चलते रहने चाहिए।
मेलबर्न में भारत-पाकिस्तान का मैच आखिर तक घनघोर रोमांच से भरा रहा। खेल प्रेमियों के लिए खेल से भी विशाल उसमें होने वाली हार-जीत रहती है। खेल में जो भी असंभव था वह सब संभव हुआ। आखिरी गेंद पर भारत ने पाकिस्तान को हराया। खेल की भी असंभव जीत हुई। भारत के महान बल्लेबाज विराट कोहली आखिर तक डटे रहे। और जीत का जश्न पूरे देश ने दीपावली के दिए, फटाके और मिठाई से मनाया। कोहली और पांड्या की सूझ-बूझ भरी शतकीय साझेदारी और कोहली का अंत तक टिके रहना पाकिस्तान पर भारी पड़ा। इस मैच में दोनों टीमों ने शानदार और जबरदस्त क्रिकेट खेली। हार और जीत का अंत तक निर्णय नहीं हुआ। पहले दिन मेज़बान आस्ट्रेलिया न्यूज़ीलैंड से हारा था। और अगले दिन भारत की जीत ने विश्व कप को चकाचौंध चमका दी। अब इस बीसमबीस विश्व कप में लोकप्रिय रोमांच ही रहने, चलने वाला है।
यह तो सभी ने देखा की मेलबर्न में भारत की जीत आसान नहीं थी। मगर जीत, सभी ग़म भूला भी देती है। मैच में संभव हुई असंभावनओं पर बहस चली। खेल के खिलाड़ियों, प्रेमियों और विशेषज्ञों की चौपालें जमीं। नियम-कानून उधेड़े गए। खेल की भावनाएं उछाली गयीं। खेल के इतिहास को खंगाला गया। अंपायरों पर उंगलियां उठी। आखिरी ओवर में जो भी घटा वही असंभव संभावनाओं के खेल को लोकलाज और आम समझ के परे ले जाता है। मगर मैदान पर मौजूद एक लाख लोगों ने शुद्ध कोरा आनंद लिया। भारत को जग भलाई और पाकिस्तान को हरिनाम भर मिला। गजब मैच हुआ, और क्रिकेट जीत गया। लेकिन ऐसा हो कैसे सकता है?
जरा ठहर कर सोचे-समझें तो क्रिकेट के साथ-साथ जीवन की भी परतें खुलती जाएंगी। क्रिकेट खेल के उदय का इतिहास देखें तो ढाई-तीन सौ साल पहले इसकी शुरूआत मानी गयी। खेल की शुरूआत एक बल्ले और एक गेंद से हुई थी। उदेश्य रहा होगा, बल्ले से रन बनाना और गेंद से बल्लेबाज को आउट करना। इसके बाद ही धीरे-धीरे, समय के साथ इसकी खेल-भावना, इसके नियम-कानून, इसके आंकड़े-कीर्तिमान, इसके रूप-प्रारूप और पुरानी यादें-स्वर्णिम पल बाद में जुड़ते गए। और आधुनिक प्रारूप का एक अति लोकप्रिय खेल तैयार हो गया। जीवन के बदलते स्वरूप की तरह क्रिकेट खेल भी बदलता रहा है। जीवंत हर एक चीज़, बदलाव के गणित से मुक्त नहीं हो सकती है।
मेलबर्न में भारत पाकिस्तान मैच के बाद क्रिकेट खेल के नियम-कानून में फिर से झांकना जरूरी हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि नियम-कानून गलत, या कमजोर सिद्ध हुए मगर उनको ले कर शंकाएं न उभरें इसलिए उनमें ज्यादा साफगोई लानी होगी। भारत को जीतने के लिए आखिरी छह गेंद पर सोलह रन बनाने थे। बाएं हाथ के गेंदबाज मोहम्मद नवाज़ पर आखिरी ओवर करने की जिम्मेदारी थी। ओवर में नोबॉल हुई जिस पर छक्का लगा, और बल्लेबाज को फ्रीहिट भी मिली। नोबॉल भी पांव आगे निकलने वाली नहीं, बल्कि कमर से उंची आने के कारण दी गयी थी। यानी हर तरह से बल्लेबाज को फायदा ही पहुंचाया जाने का नियम-कानून बनाया गया। फिर नोबॉल की एवज़ में मिली फ्रीहिट पर कोहली के बल्ले का किनारा लेते हुए गेंद विकेट पर लगी और पीछे निकल गयी। समय की नज़ाकत समझते हुए कोहली तीन रन दौड़ गए। एक ही गेंद पर दस रन बन गए। भारत के लिए जीत आसान हो गई।
क्रिकेट खेल की असंभव संभावनाएं ही ऐसी गुंजाईश देती हैं। बीसमबीस विश्व विजय की आशा की भी संभावना रखें।