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अपन तो कहेंगे

  • धीरज धरें, विध्वंस से बनेगी ‘भारत’ चिंता!

    Modi govt : थाली बजाओ, मोदी भगाओ-3: भारत पहले या मोदी पहले? हिंदू पहले या मोदी पहले? सत्य पहले या झूठ पहले? मुर्दा कौम पहले या जिंदा कौम?.. इन सबमें फिलहाल हम मोदी पहले, मुर्दा कौम पहले वाली मनोदशा में जीते हुए हैं। इसलिए अंधेरी गुफा का अंत दिखाई नहीं देता। लोग झूठ, मुगालतों की संतुष्टि से अंधेरी गुफा में मजे से हैं। किसी को तबाही, महामारी, दिवालिया आर्थिकी, दुश्मन की घात, अंदरूनी बिखराव, टकराव, जर्जरता, बंगाल-तमिलनाडु जैसी उप राष्ट्रीयताओं का सुलगना, देशद्रोहियों बनाम देशभक्तों की पानीपत लड़ाई के मैदान का सिनेरियो नहीं दिख रहा है। भारत, भारत माता नहीं,...

  • हिंदू जब मोदी से रोशन तो थाली…?

    थाली बजाओ, मोदी भगाओ!-2: हां, बहुत हुआ मोदी और छोड़ो गद्दी की चाहना वाले लोग भूल रहे हैं कि बरबादी के खंडहर, लाशों के ढेर के बावजूद भक्त हिंदू प्रधानमंत्री मोदी से वह सुरक्षा, वह संतोष लिए हुए हैं, जो विकास-आधुनिकता, मानवीयता, राष्ट्र-राज्य की कसौटियों में भले पांवों पर कुल्हाड़ी है लेकिन मुर्दा कौम के लिए दर्प व गौरव की बात है। समझें कि संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने महामारी में लोगों की मौत को मुक्ति बता कर मोदी की लीडरशीप के सौ खून माफ की जैसी जो एप्रोच दर्शाई है वही पढ़े-लिखे, डॉक्टर, हिंदुओं का गोबर कैंप में...

  • थाली बजाओ, मोदी भगाओ! मुर्दा कौम का मुर्दा ख्याल!

    Covid-19 : सवेरे-सवेरे सुनने को मिला- देशवासियों 30 मई 2021, रविवार का दिन। सब सुबह 11 बजे थाली बजा कर प्रधानमंत्री ‘गो बैक,’ ‘गो प्रधानमंत्री गो’, बोलो। मोदी की दुबारा शपथ के दो साल पूरे होने के दिन थाली बजाओ और हैशटेग चलाओ- मोदी भगाओ। जो कि झूठा है, झूठी बातें करता है! कोरोना से मरना है तो मर जाएंगे लेकिन आपकी कमान में नहीं।.....जाहिर है सोशल मीडिया का यह वीडियो दुखी नागरिक का है। उसके दुख-पीड़ा-गुस्से के दसियों कारण हो सकते हैं। लेकिन मुझे इस नागरिक की समझ पर वैसी ही तरस आई जैसे पिछले साल नरेंद्र मोदी के...

  • ब्राह्मण आज

    अक्षय तृतीया की सुबह... मेरी आंखें भोपाल से आई परशुराम की एक छवि पर अटकी। सवाल कौंधा- हम कलियुगी ब्राह्मण क्या परशुराम वंशज हैं? आज के ब्राह्मणों का भला परशुराम के ओज, तप, स्वाभिमान, शास्त्र-शस्त्र से क्या नाता? सतयुग के ऋषि-मुनियों ने कहा है- महाजनो येन गतः स पन्थाः! तो क्या ब्राह्मणों ने महापुरूष परशुराम के अनुसरण में अपने को उन जैसे संस्कारों में रचा-पकाया है? सतयुग का मंत्र है ‘शिव’ बन कर ही ‘शिव-पूजा’ करो (शिवो भूत्वा शिवम् यजेत्)। जिस पूर्वज से हम हैं उस अनुरूप बन उसकी पूजा करेंगे तभी है सार्थकता। उस नाते आज के ब्राह्मणों को...

  • पृथ्वी के लोग और चीन का मौका!

    क्षण का उबाल-4 : कभी क्या सोचा कि महामारी के तांडव के वक्त में “ब्लैक लाइव्स मैटर” क्यों इतना फैला? अमेरिका में फैला तो अन्य गोरे देशों में भी फैला। जाने कि इस महामारी से दुनिया ने जाना है कि गोरे देशों में वायरस से काले लोग अपेक्षाकृत अधिक बीमार हुए। वे अधिक मरे। यों यह बात हर मुल्क में बहुसंख्यक आबादी में अल्पसंख्यक याकि हाशिए में रहने वाले ग्रुप पर लागू होती लगती है। बावजूद इसके गोरे बनाम कालों की खाई, फॉल्टलाइन का महामारी के बीच फट पड़ना सभ्यता के संघर्ष के भावी सिनेरियो में वैसा ही पहलू है, जैसे...

  • इंसान को जानवर बनाने के जतन!

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  • फुटपाथ बाजार है भारत का विकास!

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  • न हमें सरस्वती प्राप्त और न लक्ष्मी!

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  • न लक्ष्मी चंचल, न लोग चंचल!

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  • हिंदू-मुस्लिम से ही भारत पिछड़ा!

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  • समस्या का पुर्नजन्म और विकास

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  • मुसलमान को धोखा या मुसलमान से धोखा?

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  • ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ को कैसे समझें?

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  • वे निष्काम कर्मी और हम?

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  • हमारे अगले दस साल कैसे?

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  • मोदी, एनआरसी और‘झूठ’

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  • ट्रंप हुए दागी अमेरिकी राष्ट्रपति!

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