आजसू
तू है हरजाई तो अपना भी यहीं तौर सही, तू नहीं और सही और नहीं और सही! हां, ऐसा ही है झारखंड में पार्टियों और नेताओं का आचर! जो कल कांग्रेस में था, आज भाजपा, जेएमएम या आजसू की टिकट से लड़ रहा है, जो जेएमएम में था वह भाजपा या आजसू की टिकट से लड़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में जिन पार्टियों को राज्य लूटने वाला बताया, चुनाव के बाद भाजपा उनके साथ सरकार नहीं बनाएगी, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू कश्मीर में मुफ्ती पिता-पुत्री के लिए कहा था कि ये लोग राज्य लूटने के लिए सत्ता में आते हैं।
झारखंड में चुनाव के बाद नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है और वह भी भाजपा की सहयोगी पार्टियों की वजह से ही संभव होने के आसार दिख रहे हैं। भाजपा की सहयोगी पार्टियों ने राज्य में भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला है।
झारखंड बनने के बाद से साथ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) की राहें इस चुनाव में जुदा हो गई हैं। राज्य में इसके बाद बदले सियासी परिदृश्य में जहां कई सीटों पर नए समीकरण उभरने लगे हैं तो कई पार्टियों के सामने नई चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद नेताओं के बीच टिकटों की मारामारी को लेकर मची भगदड़ में ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेताओं के लिए ‘शरणस्थली’ बने हुए हैं।
झारखंड बनने के बाद से करीब 19 सालों तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के बीच चली दोस्ती अब टूट के कगार पर पहुंच गई है।
झारखंड में भाजपा की पुरानी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन, आजसू ने भाजपा को गजब परेशान किया है।
ऐसा लग रहा है कि भाजपा की सभी सहयोगी पार्टियों ने एक साथ ही भाजपा को निशाना बनाने का फैसला कर लिया है। दो राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की सीटें क्या कम हुईं उसकी सहयोगी पार्टियों के तेवर तीखे हो गए।
झारखंड राज्य गठन के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) की जारी दोस्ती में इस विधानसभा चुनाव में दरार पड़ गई है।
झारखंड में चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने संग्राम के लिए राजनीतिक ‘योद्धाओं’ की तलाश तेज कर दी है। अभी तक जो स्थिति उभरी है, उसमें यह माना जा रहा है