आम आदमी
मोदी ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सोसाइटी की बैठक को सम्बोधित करते हुये विश्व स्तरीय उत्पाद विकसित करने के लिए आधुनिक विज्ञान के साथ पारम्परिक ज्ञान को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
बजट आने में सिर्फ दो दिन बाकी है ऐसे में सी वोटर के सर्वे में 48.4 फीसदी लोगों ने माना है कि आम आदमी के समग्र जीवन में बीते एक साल में गिरावट आई है।
आम आदमी अब महंगाई की मार और समग्र आर्थिक मंदी महसूस कर रहा है। आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण के अनुसार, कुल 65.8 फीसदी उत्तरदाता मानते हैं कि वे हाल के दिनों में अपने दैनिक खर्चो के प्रबंधन में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस, सपा और बसपा की सोच में आम आदमी का विकास नही था, जबकि आज विकास का असली पैमाना आम जन की खुशहाली है।
रघु ठाकुर लोहिया समग्र परिवर्तन में विश्वास रखते थे। उनके ही शब्दों में हिन्दुस्तान की सामान्य जनता मामूली लोग अपने में भरोसा करना शुरू करे कि कल तक जो अंग्रेजी राज था वह पाजी बन गया तो उसे खत्म किया, आज कांग्रेसी सरकार है वह पाजी बन गई तो उसे खत्म करेंगे। कल मान लो कम्यूनिस्ट सरकार बने व पाजी बन जाये तो उसे भी खत्म करेंगे परसों सोशलिस्ट सरकार बनेगी मान लो वह भी पाजी बन जाये तो उसे भी खत्म करेंगे। जिस तरह तवे पर रोटी उलटते पलटते सेंक लेते हैं उसी तरह हिन्दुस्तान की सरकार को उलटते पलटते ईमानदार बनाकर छोंड़ेंगे। यह भरोसा किसी तरह हिन्दुस्तान की जनता में आ जाये तो फिर रंग आ जायेगा राजनीति में। लोहिया आम आदमी को लड़ना सिखाकर राजनैतिक परिवर्तन की क्रिया को तेज करना चाहते थे। उनके ही शब्दों में बिना हथियारों के अन्याय से लड़ने का तरीका निकालना पड़ेगा इसका तरीका निकला भी है। सिविल नाफरमानी की क्रिया में न्याय और समता प्राप्त करने की उस मनुष्य की अदम्य प्रवृत्ति प्रकट होती है जिसके हाथ में हथियार नहीं है। हथियारों के खात्मे की तरह गरीबी का अंत भी अपने आप नहीं हो जायेगा। दोनों के लिये लगन के साथ… Continue reading आम आदमी की लड़ाई और लोहिया