कम्युनिस्ट
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के संसद के निचले सदन को बहाल करने का ऐतिहासिक फैसला दिया। उससे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बड़ा सियासी झटका लगा है।
करीब तीन महीने तक गायब रहने के बाद चीनी अरबपति कारोबारी जैक मा बुधवार को दुनिया के सामने आए। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो शेयर किया है
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आगमन के विरोध में सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के कार्यकर्ता 24 फरवरी को ब्लॉक
स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा तो अभी तक जेएनयू में स्थापित न हो पाई, पर ढँकी प्रतिमा के अपमान की खबर दुनिया भर में जरूर गई। इस का दोष क्या उन कम्युनिस्टों का ही है, जिनका आज भी जेएनयू में दबदबा है? कुछ पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में भी रातो-रात वीर सावरकर की प्रतिमा लगाकर उस का अपमान कराया जा चुका था। विवेकानन्द और सावरकर जैसे पुरुष-सिंहों की प्रतिमाएं इस तरह चुप-चाप लगाने की कोशिश भी दोषी है। जिन में इतनी बुद्धि औऱ साहस नहीं कि इन मनीषियों की शिक्षा पर चल सकें, वे दिखावे से काम चलाना चाहते हैं। इसलिए भी विवेकानन्द का जेएनयू में, और सावरकर का डीयू में अपमान हुआ। जब तक पहले पार्टी-राजनीति चमकाने की चाह रहेगी, तब तक विवेकानन्द की प्रतिमा लगाना निरर्थक भी है।सोचें, जेएनयू में पचास साल से मार्क्स-लेनिन-माओ का दबदबा है। क्या वहाँ इन नेताओं की कोई मूर्ति लगी थी? मार्क्स-लेनिन के विचार, विश्वास, साहित्य, मानसिकता और तदाधारित गतिविधियाँ जेएनयू में चलायी गयी। पूरी निष्ठा, आत्मविश्वास, और ताल-मेल से। तभी वहाँ कम्युनिस्ट अड्डा ऐसा बना। तुलना में हिन्दू राष्ट्रवादियों ने दशकों से राज्यों, व बरसों केंद्र की सत्ता पाकर क्या किया? वे विवेकानन्द की अनेक अनमोल सीखों में एक पर भी नहीं चले। अधिकांश… Continue reading स्वामी विवेकानन्दः मूर्ति लगाना छोड़ उनकी सीख पर चलें!