कृषि कानून
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजी की एक पत्रिका को इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर जम कर निशाना साधा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के साथ बैठक की थी. बैठक के बाद यह फैसला लिया गया कि धान की खरीदी…
जिन बड़े आंदोलनों का खूब जिक्र होता है, वे अक्सर मध्य वर्ग केंद्रित थे या फिर उनमें गोलबंदी अस्मिता के मुद्दों पर हुई थी। जबकि मौजूदा किसान आंदोलन में सीधे तौर पर रोजी-रोटी के सवाल प्रमुख हैं।
कृषि कानून के विरोध में आज आंदोलनकारी किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया था. भारत बंद को लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने भी अपना समर्थन….
हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावाकेरल, बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा में व्यापक असर।
भारत बंद के बारे में किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम पिछले 2…
कांग्रेस महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस और उसके कार्यकर्ता सोमवार को किसान यूनियन द्वारा आहूत किये गए शांतिपूर्ण ‘भारत बंद’ को अपना पूरा समर्थन देंगे।
किसान आंदोलन को आज 3 साल हो गए हैं. आज इस दिन को आम आदमी पार्टी (AAP) और शिरोमणि अकाली दल( Shiromani Akali Dal ) काला दिवस के रूप में मना रहे हैं….
केंद्रीय कृषि कानूनों और उसके विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की जो कमेटी बनाई थी, उसकी रिपोर्ट जारी करने का समय आ गया है।
अमित शाह ने अपने खास अंदाज में घटना की क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा कि इस तरह की चीजों से कुछ लोग विकास को पटरी से उतारना चाहते हैं। मकसद तो सरकार ने बता दिया पर बड़ा सवाल है कि कौन ऐसा कर रहा है? सरकार उसका पता क्यों नहीं लगा रही है और सबसे बड़ा सवाल यह है कि संसद नहीं चलने का फायदा किसको होना है?
आम आदमी पार्टी को पंजाब में इस बार ज्यादा आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ना है। तभी आप ने कृषि बिल पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। कायदे से कृषि कानूनों और किसानों का मुद्दा समूचे विपक्ष को साझा तौर पर उठाना चाहिए था। कांग्रेस, लेफ्ट, एनसीपी आदि पार्टियों को एक साथ मिल कर यह मुद्दा उठाना चाहिए था।
rakesh tikait threatened नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले सात महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसान इस महीने से अपना आंदोलन तेज करने वाले हैं। किसानों ने 22 जुलाई से हर दिन संसद भवन पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने केंद्र सरकार को सितंबर तक किसानों की मांग मांनने की चेतावनी देते हुए कहा है कि उसके बाद किसान बड़ा आंदोलन करेंगे। toofan Boycott : रिलीज होने से पहले ही फरहान अख्तर की ‘तूफान’ बनी बॉयकॉट का कारण, लेकिन क्यों.. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए सितंबर तक का समय दिया है। उन्होंने ट्विट करके कहा- सरकार किसानों की बात मान कर कानून वापस ले, एमएसपी को कानून बनाए अन्यथा इस बार संघर्ष बड़ा होगा, किसानों के ट्रैक्टर लाल किले का ही नहीं संसद का भी रास्ता जानते हैं। इससे पहले राकेश टिकैत शनिवार को अपने काफिले के साथ कुंडली बार्डर पर चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन यह भी तय है… Continue reading टिकैत ने सितंबर तक का समय दिया, 22 जुलाई से हर दिन संसद पर प्रदर्शन करने का ऐलान
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए कृषि कानूनों के विरोध में सात महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसानों ने संसद सत्र के दौरान प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर बैठक की। इस बैठक में फैसला किया गया कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान आंदोलनकारी संसद भवन पर प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा 19 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र से दो दिन पहले 17 जुलाई को सभी विपक्षी दलों के सांसदों को चेतावनी पत्र देकर संसद में चुप्पी तोड़ने या कुर्सी छोड़ने की मांग की जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता और न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कानून बनाने की बात नहीं होती, तब तक विपक्षी सांसद संसद न चलने दें। यह भी कहा गया कि 22 जुलाई से लगातार बार्डर से आंदोलनकारी संसद मार्ग पर जाकर प्रदर्शन करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि इसी तरह आठ जुलाई को देश भर में पेट्रोल, डीजल व गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ हाईवे के किनारे 10 से 12 बजे तक गाड़ियों, गैस सिलेंडर के… Continue reading संसद सत्र के दौरान किसान करेंगे प्रदर्शन
Modi government agriculture law : लगातार दूसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद सोचें, उन्होंने कितने नए एजेंडे बनाए थे और कितने नए मोर्चे खोले थे। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि पांच साल तक सरकार चलाने के बाद अगर सरकार ने कुछ एजेंडा बनाया और संसद से उसे मंजूरी कराई है तो निश्चित रूप से सरकार के पास कोई कार्य योजना भी होगी। लेकिन अफसोस की बात है कि जो एजेंडा सरकार ने बनाया और जिस पर जोर-जबरदस्ती संसद की मुहर लगवाई वैसे एजेंडे भी दो साल से अटके हैं। ऐसा लग रहा है कि सरकार के पास उस पर अमल की कोई कार्य योजना नहीं थी या सरकार ने यह अंदाजा नहीं लगाया था कि इसे लागू करते समय किस किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं। यह भी पढ़ें: समस्याएं सुलझ नहीं, बढ़ रही हैं! ऐसा सबसे पहला मुद्दा कृषि कानूनों ( Modi government agriculture law ) का है। कोरोना वायरस की महामारी के बीच केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए तीन कृषि कानून बनाए, जिनको संसद से लगभग जबरदस्ती पास कराया गया। राज्यसभा में इन कानूनों का भारी विरोध हुआ। विपक्ष के सांसद इन पर वोटिंग की मांग करते रहे पर इस अनिवार्य… Continue reading अपने बनाए एजेंडे भी अटके!
नई दिल्ली। पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में चल रहा घमासान दिल्ली पहुंच गया है। क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू मंगलवार को दिल्ली पहुंचे और पार्टी आलाकमान की ओर से बनाई गई तीन सदस्यों की कमेटी के सामने पेश हुए। बताया जा रहा है कि इस कमेटी के सदस्यों- मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत और जेपी अग्रवाल के सामने सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के प्रति तीखे तेवर दिखाए और उनकी जम कर शिकायत की। सिद्धू करीब दो घंटे तक कमेटी के सदस्यों के साथ रहे। बाद में सिदधू ने कहा कि वे सच के साथ हैं। सच को जिताना है और हर विरोधी ताकत को हराना है। उन्होंने कहा- कमेटी को सारी बात व सच्चाई बता दी है। मेरा स्टैंड साफ है लोगों की लोकतांत्रिक ताकत समान व बरकरार रहनी चाहिए। मेरा स्टैंड कायम है, कायम था और कायम रहा है। कमेटी के सामने अपनी बात रख कर आने के बाद सिद्धू ने कहा कि हर विरोधी ताकतों को हराना है और सच को जिताना है। गौरतलब है कि कैप्टेन की सरकार से इस्तीफा देने के बाद से ही सिद्धू और कैप्टेन अमरिंदर सिंह में खींचतान चल रही है। बहरहाल,… Continue reading सिद्धू ने की कैप्टेन की शिकायत