प्रवासीमजदूर
कोरोना वायरस का संकट देर-सवेर टल जाएगा। जो, आधुनिक, विकसित और सभ्य देश हैं उनके यहां चार-छह महीने में संकट खत्म होगा और भारत जैसे विकासशील या पिछड़े देशों में इसे खत्म होने में डेढ़-दो साल भी लग सकते हैं।
तालाबंदी से प्रभावित प्रवासी मजदूर किस संकट से गुजर रहे हैं, इसका असल में ठीक से अंदाजा किसी को नहीं है।
राष्ट्रीय राजधानी से सटे देश के मिलेनियम शहर में किसी मजदूर का अपने परिवार का पेट भरने में विफल रहने पर आत्महत्या करना वैसे तो पूरे सिस्टम और समाज पर सवाल खड़े करता है
मुंबई। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए 25 मार्च से शुरू हुए पहले लॉकडाउन के बिल्कुल शुरुआत में प्रवासी मजदूरों के पलायन की जो कहानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में हुई थी, दूसरे चरण के लॉकडाउन की घोषणा के बाद वहीं कहानी मुंबई में देखने को मिली। प्रधानमंत्री ने सुबह में लॉकडाउन 19 दिन और बढ़ाने का ऐलान किया और उसके बाद हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास जमा हो गए। वे मांग कर रहे थे कि उनको अपने गांव वापस जाने दिया जाए। उधर गुजरात के सूरत में भी बड़ी संख्या में लोगों के सड़कों पर उतरने की सूचना है। बहरहाल, मुंबई पुलिस प्रशासन ने इन लोगों को समझाने की कोशिश की और इन्हें वहां से हटाने के लिए पुलिस को लाठी भी चलानी पड़ी। इसके बाद पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया। भाजपा के नेता आशीष शेलार ने कहा कि राज्य की शिव सेना के नेतृत्व वाली सरकार ने मजदूरों के लिए ठीक से व्यवस्था नहीं की इसलिए वे भाग रहे हैं। दूसरी ओर शिव सेना के नेता आदित्य ठाकरे केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मजदूर यह नहीं कह रहे हैं कि उनको मुंबई… Continue reading मुंबई से बांद्रा स्टेशन पर जुटे हजारों प्रवासी