Agriculture law
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजी की एक पत्रिका को इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर जम कर निशाना साधा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के साथ बैठक की थी. बैठक के बाद यह फैसला लिया गया कि धान की खरीदी…
जिन बड़े आंदोलनों का खूब जिक्र होता है, वे अक्सर मध्य वर्ग केंद्रित थे या फिर उनमें गोलबंदी अस्मिता के मुद्दों पर हुई थी। जबकि मौजूदा किसान आंदोलन में सीधे तौर पर रोजी-रोटी के सवाल प्रमुख हैं।
किसान आंदोलन को आज 3 साल हो गए हैं. आज इस दिन को आम आदमी पार्टी (AAP) और शिरोमणि अकाली दल( Shiromani Akali Dal ) काला दिवस के रूप में मना रहे हैं….
इसी क्रम में अब किसान नेता राकेश टिकैत ने योगी आदित्यनाथ को खुली चुनौती दे दी है. टिकैत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि यदि अब भी सरकार नहीं मानी तो वे लखनऊ को दिल्ली बना देंगे.
changing the agriculture law : केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन शुरू होने के बाद संसद का दूसर सत्र शुरू होने वाला है। किसानों के साथ सरकार ने आखिरी बार 22 जनवरी को बात की थी। उसके बाद किसानों से बात करने और आंदोलन खत्म कराने का कोई प्रयास नहीं हुआ है। सरकार की ओर से बार बार कहा जा रहा है कि कानूनों को रद्द करने के अलावा बाकी हर मुद्दे पर वह किसानों से बात करने को तैयार है। अब तो किसानों के हितैषी और विपक्ष के महत्वपूर्ण नेता शरद पवार ने भी कह दिया है कि कानून पूरी तरह से रद्द करने की जरूरत नहीं है, बल्कि जिन प्रावधानों से किसानों को आपत्ति है उन्हें बदला जाए। यह भी पढ़ें: राजद्रोह-कानूनः लोकतंत्र का कलंक तभी सवाल है कि केंद्र सरकार इन कानूनों को बदलने की पहल क्यों नहीं कर रही है? सरकार ने किसानों के साथ आखिरी बार बातचीत से पहले कुछ बदलावों पर सहमति जताई थी। तीनों कानूनों को मिला कर कोई एक दर्जन प्रावधान थे, जिन्हें बदलने को सरकार तैयार थी। सरकार ने खुद कहा था कि वह कांट्रैक्ट पर खेती की मंजूरी देने वाले कानून में अदालत… Continue reading कृषि कानून क्यों नहीं बदल रही सरकार?
rakesh tikait threatened नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले सात महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसान इस महीने से अपना आंदोलन तेज करने वाले हैं। किसानों ने 22 जुलाई से हर दिन संसद भवन पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने केंद्र सरकार को सितंबर तक किसानों की मांग मांनने की चेतावनी देते हुए कहा है कि उसके बाद किसान बड़ा आंदोलन करेंगे। toofan Boycott : रिलीज होने से पहले ही फरहान अख्तर की ‘तूफान’ बनी बॉयकॉट का कारण, लेकिन क्यों.. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए सितंबर तक का समय दिया है। उन्होंने ट्विट करके कहा- सरकार किसानों की बात मान कर कानून वापस ले, एमएसपी को कानून बनाए अन्यथा इस बार संघर्ष बड़ा होगा, किसानों के ट्रैक्टर लाल किले का ही नहीं संसद का भी रास्ता जानते हैं। इससे पहले राकेश टिकैत शनिवार को अपने काफिले के साथ कुंडली बार्डर पर चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन यह भी तय है… Continue reading टिकैत ने सितंबर तक का समय दिया, 22 जुलाई से हर दिन संसद पर प्रदर्शन करने का ऐलान
Modi government agriculture law : लगातार दूसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद सोचें, उन्होंने कितने नए एजेंडे बनाए थे और कितने नए मोर्चे खोले थे। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि पांच साल तक सरकार चलाने के बाद अगर सरकार ने कुछ एजेंडा बनाया और संसद से उसे मंजूरी कराई है तो निश्चित रूप से सरकार के पास कोई कार्य योजना भी होगी। लेकिन अफसोस की बात है कि जो एजेंडा सरकार ने बनाया और जिस पर जोर-जबरदस्ती संसद की मुहर लगवाई वैसे एजेंडे भी दो साल से अटके हैं। ऐसा लग रहा है कि सरकार के पास उस पर अमल की कोई कार्य योजना नहीं थी या सरकार ने यह अंदाजा नहीं लगाया था कि इसे लागू करते समय किस किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं। यह भी पढ़ें: समस्याएं सुलझ नहीं, बढ़ रही हैं! ऐसा सबसे पहला मुद्दा कृषि कानूनों ( Modi government agriculture law ) का है। कोरोना वायरस की महामारी के बीच केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए तीन कृषि कानून बनाए, जिनको संसद से लगभग जबरदस्ती पास कराया गया। राज्यसभा में इन कानूनों का भारी विरोध हुआ। विपक्ष के सांसद इन पर वोटिंग की मांग करते रहे पर इस अनिवार्य… Continue reading अपने बनाए एजेंडे भी अटके!
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से आंदोलन कर रहे किसान कहीं नहीं जा रहे हैं। वे दिल्ली को तीन तरफ से घेरे रहेंगे और सीमा पर बैठे रहेंगे। आंदोलन के छह महीने पूरे होने के मौके पर किसानों के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जरूरत पड़ी तो किसान 2024 तक यानी अगले लोकसभा चुनाव तक आंदोलन करते रहेंगे। उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों की वजह से कोरोना फैलने की बातों को खारिज करते हुए कहा कि जो किसान, जहां है वहीं से आंदोलन कर रहा है इसलिए यह सुपर स्प्रेडर इवेंट नहीं है। सो, यह तय है कि किसान आंदोलन का हस्र नागरिकता संशोधन कानून पर शाहीन बाग में हुए आंदोलन वाला नहीं होने जा रहा है। कोरोना की पहली लहर में शाहीन बाग का आंदोलन खत्म हो गया था। पहले आंदोलन में शामिल लोगों की संख्या धीरे धीरे कम हुई और उसके बाद चुपचाप आंदोलन खत्म हो गया। एक समय दिल्ली के शाहीन बाग से लेकर देश के दूर-दराज तक के हिस्सों में सीएए विरोधी आंदोलन चल रहा था। लेकिन वायरस की पहली लहर ने इसे खत्म कर दिया। ऐसा लग रहा था कि कोरोना की दूसरी लहर में किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा… Continue reading किसान आंदोलन और शाहीन बाग का फर्क
कृषि कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को 100दिन से अधिक समय हो चुका है। आंदोलन स्थल पर पुरुष, बच्चे और महिलाओं ने डेरा डाला हुआ है।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान दौरे के दूसरे दिन शनिवार को पार्टी की ओर से आयोजित ट्रैक्टर रैली में शामिल हुए।
तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों के तीन घंटे के चक्का जाम को कांग्रेस ने समर्थन दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, अन्नदाता का शांतिपूर्ण सत्याग्रह देशहित में है-
पता नहीं हम हिंदुओं के भाग्य में क्या बदा है! पर पिछले साढ़े छह साला हिंदू राज में भारत के जैसे-जो फोटो बने हैं उसके क्रम में वर्ष 2021 की लोहड़ी का फोटो कभी भूलाए नहीं भूलेगा
तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन रविवार को 46वें दिन जारी है। आंदोलनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच सोमवार को एक बार फिर से वार्ता हो रही है। इस वार्ता के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र