न्याय या फौरी इंसाफ: कंगारू या काजी का फैसला…?
भोपाल। आजकल एक हवा चली है कि कोई भी आपराधिक घटना हो जाए और मामला किसी पार्टी या संगठन से जुड़े व्यक्ति का हो तो तुरंत ही चक्काजाम या थाने का घेराव होना लाज़मी है ! और मामला बलात्कार का हो या लड़की को अगवा करने का हो तब तो फौरी इंसाफ की बात होती है। मामला यह हो जाता है कि आरोपी को भीड़ अपराधी घोषित कर देती है। भले ही कोई सबूत हो या ना हो ! इसमें राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों की भी भूमिका कम नहीं, वे भी आग में घी डालने का काम करते हैं, बशर्ते...