अपनी ‘जात’ तो नहीं पता, आप की पता चल गई
‘जात का पता नहीं’ से ज़्यादा असभ्य, कुत्सित और बेहूदी व्यंजना इसलिए कुछ और हो ही नहीं सकती कि इस से वर्ण-व्यवस्था से पर टिप्पणी के बजाय पितृत्व पर संशय घ्वनित होता है। ‘जात’ का अर्थ है जन्म। अभी-अभी जन्म लिए शिशु को ‘नवजात’ कहा जाता है। प्रसवपीड़ा के लिए भी शब्द है ‘जात-पीर’। तो जात का अर्थ महज़ जाति नहीं है।... सो, सड़कछाप राजनीतिक मंचों पर अपनी ‘जात’ बताते-बताते उन्होंने बारिश में चूते लोकतंत्र के मंदिर में भी अपनी असली ‘जात’ बता दी। अक़्ल का अजीर्ण और किसे कहते हैं?... दस बरस पहले तक मैं सोचा करता था कि...