CIC

  • साख नहीं, तो क्या बचा?

    यह अपेक्षा तो रहती ही है कि तय प्रावधान का- उसकी भावना के मुताबिक पालन किया जाए। सिर्फ तभी नियुक्त व्यक्ति- और प्रकारांतर में जिस संस्था का प्रमुख उसे बनाया गया है, उसकी साख लोगों की निगाह में बनी रह सकती है। अगर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की बात सच है, तो फिर यही कहा जाएगा कि पारदर्शिता और सहमति की भावना का उल्लंघन करते हुए सरकार ने मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) की नियुक्ति कर दी। चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर शिकायत की है कि जिस बैठक में हीरालाल समारिया को सीआईसी बनाने...