सामाजिक, आर्थिक समानताओं का क्या?
सबके लिए समान कानून होने चाहिए और कानून के समक्ष सबको समान होना चाहिए, यह एक आदर्श स्थिति है। लेकिन सबको पता है कि कानूनी समानता या कानून के समक्ष समानता एक मिथक है या एक यूटोपिया है, जिसकी कम से कम भारत में कल्पना नहीं की जा सकती है। फिर भी यह अच्छी बात है कि सबके लिए समान कानून बनाने की पहल हो रही है। 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता पर लोगों की राय ले रहा है और प्रधानमंत्री सार्वजनिक रूप से इसकी जरूरत बताते हुए इसकी वकालत कर रहे हैं। इस बारे में बहुत कुछ लिखा...