Covid

  • भारत का डेटा संदिग्ध?

    एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल, जिसके विचार-विमर्श का दायरा राजनीतिक नहीं है, वह भारत के आम चुनाव के मौके पर संपादकीय लिख कर सतर्क करने की जरूरत महसूस करे, तो यह खुद जाहिर है कि संबंधित समस्या उसकी नजर में कितना गंभीर रूप ले चुकी है। मशहूर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लांसेट ने आम चुनाव के मौके पर भारतवासियों को देश में स्वास्थ्य संबंधी डेटा की बढ़ती किल्लत और मौजूद डेटा पर गहराते संदेह को लेकर आगाह किया है। एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल, जिसके विचार-विमर्श का दायरा राजनीतिक नहीं है, वह किसी देश के आम चुनाव के मौके पर संपादकीय लिख...

  • न सतह पर ठीक और न सतह से नीचे! भारत में भी!

    पृथ्वी पर गजब हो रहा है। भारत में फसल कटने के वक्त बारिश है तो अमेरिका में एक दिशा में भारी बर्फबारी तो पश्चिमी दिशा में गर्मी और बाढ़! फ्रांस में सूखा और तुर्की में भूकंप। इजराइल की सड़कों पर यहूदी बागी तो फिलस्तीनी भी! फ्रांस की सड़कों पर पैशन को ले कर गदर तो पाकिस्तान की सड़कों पर इमरान खान के भक्त! सचमुच इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में देश और दुनिया में चारो तरफ गड़बड़ ही गड़बड़ है। तभी सवाल है क्यों इस सबको सन् 2020 की महामारी से शुरू हुई महाकाल की दशा नहीं माना जाना चाहि्ए?...

  • कोविड (चीन) से तबाह, बदली दुनिया!

    एक महामारी ने पूरी पृथ्वी और इक्कीसवीं सदी का कैसा भुर्ता बनाया है, इसकी गहराई में जाएं तो लगेगा मानो बरबादी की सदी। दूसरी बात, वायरस के अलावा चीन से ही दुनिया की लगातार तबाही! कोविड के साथ यदि जलवायु परिवर्तन में भी चीन को जोड़ें तो सभी मामलों में वह विनाशकारी। हर वैश्विक आपदा-विपदा चीन का परिणाम। हां, चीन जलवायु परिवर्तन की आपदाओं में भी इसलिए जिम्मेवार क्योंकि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भी तो वही नंबर एक है। चीन की फैक्टरियों से हर साल पृथ्वी के कुल धुएं का एक-चौथाई उत्सर्जन होता है। ऐसे में चीन को क्या माना...