स्वतंत्रता संग्राम और दयानन्द सरस्वती
स्वामी दयानन्द धार्मिक नेता ही नहीं, अपितु वे सच्चे राजनैतिक नेता भी थे। उनसे साधु- संतों के साथ ही क्रांतिकारी- राजनीतिक व्यक्तित्व भी समय- समय पर मिलते रहते थे। उनके साथियों में गुरु परमहंस गोविन्दराम, रामसहाय दास उर्फ़ जगनानन्द आदि भी थे। ये सब लोग सन 1855-56 में गुरु विरजानन्द से आज्ञा लेकर भारत के साधु समाज के हुक्म से क्रांति यज्ञ में आहुति डालते रहे थे। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने सन् 1857 की क्रांति से पहले 1855 ईस्वी में घर छोड़ा था। उन्होने हरिद्वार कुम्भ मेले में स्वामी पूर्णानन्द से व्याकरणसूर्य गुरु विरजानन्द का पता लिया। वे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी...