De dollarization

  • कमजोरी जड़ में है

    सबक यह है कि मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए अर्थव्यवस्था की जड़ें मजबूत करना अनिवार्य है। वरना, मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण की बात सपना ही बनी रहेगी। यह याद रखना होगा कि मुद्रा की ताकत अर्थव्यवस्था की ताकत से तय होती है। साल 2023 में डी-डॉलराइजेशन- यानी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में आपसी मुद्राओं में भुगतान- एक खास ट्रेंड रहा। आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष कच्चे तेल के हुए कुल 20 प्रतिशत निर्यात का भुगतान डॉलर के अलावा किसी मुद्रा में हुआ। यह बड़ा आंकड़ा है, क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से जीवाश्म ऊर्जा के अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मुख्य मुद्रा डॉलर ही...

  • डॉलर से पीछा छुड़ाने की होड़!

    बीते हफ्ते एक दिलचस्प बात हुई। अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी और लिबरल रुझान वाले टीवी न्यूज चैनल सीएनएन ने de-dollarization पर एक विशेष सेगमेंट प्रसारित किया। इस प्रसारण के ठीक एक दिन बाद रिपब्लिकन पार्टी समर्थक कंजरवेटिव न्यूज चैनल फॉक्स टीवी ने भी इसी विषय पर एक विशेष कार्यक्रम प्रसारित किया। इसमें दिलचस्प यह है कि दोनों चैनल इस चर्चा में समान निष्कर्ष पर थे। जबकि अमेरिका में ये दोनों चैनल परस्पर विरोधी मतों का प्रतिनिधित्व करते हैँ। उनमें किसी एक बात पर सहमति या समानता हो, ऐसा अक्सर नहीं होता। बहरहाल, सीएनएन के कार्यक्रम में उसके जाने-माने टीकाकार फरीद...