कमजोरी जड़ में है
सबक यह है कि मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए अर्थव्यवस्था की जड़ें मजबूत करना अनिवार्य है। वरना, मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण की बात सपना ही बनी रहेगी। यह याद रखना होगा कि मुद्रा की ताकत अर्थव्यवस्था की ताकत से तय होती है। साल 2023 में डी-डॉलराइजेशन- यानी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में आपसी मुद्राओं में भुगतान- एक खास ट्रेंड रहा। आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष कच्चे तेल के हुए कुल 20 प्रतिशत निर्यात का भुगतान डॉलर के अलावा किसी मुद्रा में हुआ। यह बड़ा आंकड़ा है, क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से जीवाश्म ऊर्जा के अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मुख्य मुद्रा डॉलर ही...