हिंदी पत्रकारिता के वैदिक युग का अवसान
डॉक्टर वैदिक ने अपने लेखन से कई मिथक तोड़े। हिंदी के बारे में यह आम धारणा रही है कि वह साहित्य की भाषा है या हिंदी भाषा में देश की गोबर पट्टी की राजनीति के बारे में ही लिखा जा सकता है। वैदिक जी ने इस धारणा को तोड़ा। उन्होंने जिस सहज भाव से वैदेशिक मामलों पर हिंदी में लिखा उसकी दूसरी मिसाल नहीं है। हिंदी की मुख्यधारा की पत्रकारिता के स्वर्ण काल का प्रतिनिधित्व करने वाली मध्य प्रदेश की त्रयी की आखिरी कड़ी भी टूट गई। प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर के साथ साथ और उनके बाद भी हिंदी...