आर्थिक मोर्चे पर विफल कूटनीति
पहले के मुकाबले मौजूदा समय की कूटनीति का एक बुनियादी फर्क यह है कि पहले आमतौर पर सामरिक नीति के हिसाब से कूटनीति होती थी लेकिन अब आर्थिक नीतियों की आवश्यकताओं में भी कूटनीति होती है। इसलिए लंबे समय से भारत के राजनयिक और राजनीतिक नेतृत्व दुनिया के अनेक देशों के साथ मुक्त व्यापार संधि यानी एफटीए की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि तमाम प्रयासों के बावजूद ऐसी सारी संधियां अधर में लटकी हैं। इंग्लैंड में जब भारतीय मूल के हिंदू ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने तो उम्मीद जताई जा रही थी कि जल्दी ही एफटीए...