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  • बदलते माहौल में ढलती फ़िल्में

    देश और समाज में जब भी बड़े बदलाव का दौर आता है तो वह फिल्मों के विषयों को भी बदल डालता है या उन्हें नियंत्रित करने लगता है। अब भी कर रहा है। इसीलिए ‘खोसला का घोंसला’, ‘शंघाई’, ‘तितली’ और ‘संदीप और पिंकी फरार’ आदि फिल्में बना चुके दिबाकर बनर्जी की फिल्म ‘तीस’ रिलीज़ नहीं हो पा रही। यह उन्होंने नेटफ़्लिक्स के भरोसे बनाई थी, लेकिन जब फिल्म पूरी हो गई तो उसने हाथ पीछे खींच लिए। इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की हिचक का कारण है देश का मौजूदा माहौल। परदे से उलझती ज़िंदगी ‘सब काल्पनिक है’ के दावे वाले डिस्क्लेमर...