तो विधानसभाएं हैं किसलिए?
संसदीय लोकतंत्र में विधायिका सत्ता की जवाबदेही और उसके कामकाज में पारदर्शिता को सुनिश्चित करती है। लेकिन अगर विधायिका यह कार्य ना करे, या उसे ऐसा ना करने दिया जाए, तो क्या इस अपेक्षा पर कुठाराघात नहीं होगा? लोकतंत्र के खिलाफ एक तर्क यह है कि इस सिस्टम को चलाना बहुत महंगा पड़ता है। लेकिन उसका तार्किक जवाब यह है कि चूंकि इस व्यवस्था में सत्ता पर नियंत्रण रखना, उसके कामकाज की पारदर्शिता और जवाबदेही तय करना संभव होता है, इसलिए दीर्घकाल में इसे चलाने के लिए हुआ खर्च सार्थक एवं लाभदायक साबित होता है। इससे सरकारी फैसलों में जन...