फ्रांसीसी चुनाव: ‘लेफ्ट’-‘लिबरल’ का सच
‘लेफ्ट-लिबरल’ कितना विरोधाभासी है, उसका जीवंत उदाहरण फ्रांस के हालिया संसदीय चुनाव में देखने को मिल जाता है। जब पहले चरण के चुनाव में दक्षिणपंथी ‘नेशनल रैली’ गठबंधन ने वामपंथी दलों के ऊपर निर्णायक बढ़त बनाई और उसकी प्रचंड जीत की संभावना बनने लगी, तब इसी ‘लेफ्ट-लिबरल’ गिरोह के चेहरे से ‘लिबरल’ मुखौटा एकाएक उतर गया। वास्तव में, ‘लेफ्ट-लिबरल’ संज्ञा किसी फरेब से कम नहीं। यह दो अलग शब्दों को मिलाकर बना है, जिनका रिश्ता पानी-तेल के मिलन जैसा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जहां वामपंथ होता है, वहां उसके वैचारिक चरित्र के मुताबिक हिंसा, असहमति का दमन, मानवाधिकारों का हनन...