Great Indian Saint Angira

  • अग्नि, वाणी व छंद के प्रथम ज्ञाता

    ऋग्वेद में अन्य ऋषियों की अपेक्षा महर्षि अंगिरा व उनके वंशधरों तथा शिष्य-प्रशिष्यों के ही सबसे अधिक मंत्र हैं, अथवा इनका सर्वाधिक उल्लेख हुआ है। महर्षि अंगिरा से सम्बन्धित वेश और गोत्रकार ऋषि ही ऋग्वेद के नवम मण्डल के द्रष्टा हैं। नवम मण्डल के साथ ही ये अंगिरस ऋषि प्रथम, द्वितीय, तृतीय आदि अनेक मण्डलों के तथा कतिपय सूक्तों के द्रष्टा ऋषि हैं। जिनमें से महर्षि कुत्स, हिरण्यस्तूप, सप्तगु, नृमेध, शंकपूत, प्रियमेध, सिन्धुसित, वीतहव्य, अभीवर्त, अंगिरस, संवर्त तथा हविर्धान आदि मुख्य हैं। 19 सितंबर- अंगिरा जयंती दिव्य अध्यात्मज्ञान, योगबल, तप साधना एवं मन्त्रशक्ति के लिए विशेष रूप से प्रतिष्ठित ऋग्वेद...